सौराष्ट्र की आत्मा कहा जाने वाला जूनागढ़ अपनी शानदार वास्तुकला, रौनक भरे बाजारों, अतिथियों का स्वागत करते निवासियों और 2300 साल पुराने गौरवशाली इतिहास से सैलानियों को अपनी ओर पुकारता है। समुद्र तल से 1000 मीटर की ऊंचाई पर बना यह किलाबंद शहर गिरनार पर्वत की तलहटी में स्थित है जो कि गुजरात की सबसे ऊंची जगह है। भव्य महलों, किलों और गुफा-मंदिरों को खुद में समेटे जूनागढ़ यहां आने वाले पर्यटकों को यहां के समृद्ध इतिहास और खूबसूरत स्मारकों से रूबरू करवाता है। अपनी आकर्षक ऐतिहासिक धरोहरों के अतिरिक्त जूनागढ़ सोमनाथ मंदिर और गिर राष्ट्रीय उद्यान के प्रवेश-द्वार के तौर पर भी जाना जाता है।

जूनागढ़ में सम्राट अशोक के लिखवाए शिलालेख प्राप्त हुए हैं जो बताते हैं कि कभी यहां महान मौर्य साम्राज्य का शासन रहा होगा। बाद में यहां मुगलों का शासन भी रहा और 18वीं सदी के मध्य में यह मुगलों के हाथों से निकल गया और अफगान शासक शेर खान बाबी ने इसे एक स्वतंत्र रियासत के तौर पर स्थापित किया। भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद 9 नवंबर, 1947 को जूनागढ़ रियासत भारतीय संघ के सौराष्ट्र राज्य में शामिल हो गई जो बाद में बॉम्बे कहलाया। महा गुजरात आंदोलन के बाद 1960 में यह जगह नए बने राज्य गुजरात का हिस्सा हो गई।