झांसी के खान-पान पर बुंदेलखंडी प्रभाव विशेष रूप से देखने को मिलता है। यहां के स्थानीय व्यंजन बेहद कम तेल में पकाए जाते हैं और उनमें अंकुरित दालों तथा बैंगन का काफी इस्तेमाल होता है। मीठे व्यंजनों में यहां की रबड़ी का तो जबाव ही नहीं, जो कि पूरे देश में प्रसिद्ध है। 

रबड़ी

रबड़ी बनाने के लिए मलाई वाले दूध को मंदी-मंदी आंच पर गाढ़ा होने तक धीरे-धीरे पकाया जाता है। फिर इसमें चीनी मिलाकर मिठा किया जाता है। वैसे कभी-कभी रबड़ी में मिठास के लिए गुड़ भी डाला जाता है। ठंडी-ठंडी को गरमा गरम जलेबियों के साथ भी खाया जाता है। 

रबड़ी

पापड़ी चाट

दही भल्ले या पपड़ी चाट की तश्तरी जब दही-सोंठ के साथ सजकर सामने आती है तो अच्छे अच्छों के मुंह में पानी आ जाता है। मूंग या उड़द की दाल की पकौड़ियों को पानी में भिगोकर रखा जाता है। फिर हल्के हाथ से दबाकर इनका पानी निकालकर, इसमें ऊपर से ऊबले आलू (छोटे पीस में कटे हुए), उबले काबुली चने, नमक तथा अन्य कई मसाले बुरके जाते हैं। बाद में इसमें इमली से बनी खट्टी-मीठी सोंठ, फेंटी हुई दही तथा ताजे कटे घनिये से सजाया जाता और ठंडा-ठंडा परोसा जाता है। 

पापड़ी चाट

कढ़ी

खट्टी दही में बेसन मिलाकर कढ़ी बनायी जाती है। देखने में काफी गाढ़ी और स्वाद में खट्टी यह कढ़ी, ऊबले हुए चावलों या रोटी के साथ खाने में बहुत स्वादिष्ट लगती है और लोग अपनी पसंद के हिसाब से इसमें आलू या प्याज की पकौड़ियां भी डालते हैं, जिन्हें थोड़ा ज्यादा तीखा बनाया जाता है, ताकि कढ़ी खाते समय जैसे ही थोड़ा चटपटा जायके का मन करे तो उस समय यह पकौड़ी तोड़ कर कढ़ी के ही साथ खायी जाती है। 

कढ़ी

कचौड़ी

गोल-गोल, फूली हुई सी, कुरकुरी-खस्ता कचौड़ी, बनती है मैदा से जो उत्तर भारतीय नाश्ते में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इन कचौड़ियों को उड़द या मूंग की पिसी हुई दाल से बनी पिट्ठी से भरकर बनाया जाता है। यह पिट्ठी बनाने में दरदरी सी पिसी दाल तके मिश्रण में लाल मिर्च पाउडर, बेसन, काली मिर्च और नमक सहित कई सारे मसाले डाले जाते हैं। बाद में कचौड़ी को सुनहरा होने तक तला जाता है। कढ़ाही से गरमा गरम छन छनकर आती यह खस्ता कचौड़िया कई तरह की चटनियों और आलू की सब्जी के साथ बेमिसाल लगती हैं। 

कचौड़ी

छेना

झांसी की मिठाईयों का जिक्र आते ही जबान पर सबसे पहले छेने की मिठाईयों के नाम आते हैं। ये भी कहा जा सकता है कि छेने के जिक्र के बिना यहां की मिठाईयों की कल्पना ही नहीं की जा सकती। फिर बात चाहे ठंडी-ठंडी रसमलाई की हो या फिर गरमा गरम छेना जलेबी हो। यहां के खान-पान में छेने का भरपूर इस्तेमाल किया जाता है। स्पंजी रसगुल्ला, छेना खीरी और संदेश कुछ ऐसी स्वादिष्ट मिठाईयां है, जिनका मुख्य आधार छेना ही है। छेना, छूने और देखने मेंं काफी नर्म और थोड़ा भुरभुरा सा होता है और इसे बनाने के लिए मुख्यतः गाय के दूध का ही इस्तेमाल किया जाता है। 

छेना