यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल, ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क, हिमालय के सबसे संरक्षित क्षेत्रों में से एक है। यह वनस्पति की लगभग 350 प्रजातियों और जीवों की 800 प्रजातियों का बसेरा है, जिनमें से कुछ लुप्तप्राय हैं। इस पार्क में दुनिया के लुप्तप्राय जीवों में से चार स्तनधारी प्रजातियों - हिम तेंदुआ, सीरो, हिमालयी तहर और कस्तूरी मृग; व तीन पक्षी प्रजातियों - पश्चिमी ट्रोपोपन, कोक्लास और चीयर फिशेंट्स को संरक्षण प्राप्त है। 

इस पार्क के हरे परिदृश्य का एक बड़ा हिस्सा ओक के पेड़ों की तीन किस्मों से बना है - बांज, मोहरू और खरसू। यह पार्क सुरम्य पहाड़ी चरागाहों के माध्यम से पर्वतारोहण का अनुभव करने के लिए बेहतरीन अवसर प्रदान करता है। इस पार्क की यात्रा का सबसे अच्छा समय गर्मियों और शरद ऋतु में है। इसे 1999 में एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप में मान्यता दी गई थी। यह पार्क 1,171 वर्ग किमी में फैला हुआ है और इसकी सीमाएं कई अन्य प्राकृतिक स्थलों जैसे कि पिन वैली नेशनल पार्क, रूपी भाभा वन्यजीव अभयारण्य और पार्वती घाटी में स्थित कंवर वन्यजीव अभयारण्य के साथ मिली हुई हैं। यह कई उप-हिमालयी क्षेत्रों में व्याप्त है तथा यहाँ हिमाचल प्रदेश के भुंतर, मनाली और स्पीति से पहुँचा जा सकता है। यह पार्क वन्यजीव प्रेमियों और साहसिक रोमांचप्रेमियों दोनों के लिए आकर्षण का केंद्र है क्योंकि इस पार्क के विभिन्न उप-क्षेत्रों में बड़ी संख्या में पर्वतारोहण तथा पैदल यात्रा करने के अवसर प्राप्त होते हैं। 2004 के बाद से कई गांवों को भी इसके विस्तार में शामिल किया गया है, जो आगंतुकों को यहाँ के स्थानीय लोगों के पर्यावरण के साथ रचे-बसे सहजीवी संबंध को देखने का मौका मिलता है। 

अन्य आकर्षण