अपनी अनूठी स्थापत्य शैली के लिए प्रसिद्ध अखंड चंडी महल का निर्माण जोधपुर के राजा उम्मेद सिंह ने 1747 और 1765 ईस्वी के बीच करवाया था, और यह चंबा के सबसे बड़े स्मारकों में से एक है। सुरम्य और शांत वातावरण में स्थित यह भवन चंबा के शासक परिवार का निवास था। समुद्र तल से लगभग 1,000 मीटर ऊपर स्थित यह संरचना, प्रचलित वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है जो मुगल और ब्रिटिश शैली दोनों से प्रभावित है। इस महल को तीन भागों में एक अधूरे वर्ग के आकार में बनाया गया है। अखंड चंडी महल की सबसे खासियत इसकी हरे रंग की छत और सफेद रंग की खिड़कियां हैं।  यहाँ स्थित दरबार हॉल, जिसे मार्शल हॉल के रूप में भी जाना जाता है, का निर्माण 1879 में कैप्टन सीएचटी मार्शल द्वारा किया गया था, जो इस महल के निवासियों में से एक था। महिलाओं के लिए ज़नाना महल को बाद में बनाया गया था। 1958 में इस महल को शाही परिवार द्वारा हिमाचल प्रदेश सरकार को बेच दिया गया, जिसने इसे एक सरकारी कॉलेज और जिला पुस्तकालय में बदल दिया। यह महल हमारे देश की समृद्ध विरासत और जीवंत इतिहास के बेहतरीन उदाहरणों में से एक है जिसे भलीभांति पुनर्स्थापित और संरक्षित रखा गया है। इस महल की यात्रा के लिए सबसे अच्छी अवधि अप्रैल और अगस्त के महीनों के बीच होती है जब मौसम सुहावना होता है। 

किंवदंती है कि 1748 ई में राजा उम्मेद सिंह की लाहौर यात्रा के दौरान इस महल को यह नाम मिला था, जब चंडी दुर्गासप्तशती का पाठ उनकी सुरक्षित वापसी के लिए प्रार्थना के रूप में किया गया था। 

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