सबसे बड़े तिब्बती मंदिरों में से एक नामग्याल मठ, दलाई लामा के घर के रूप में प्रसिद्ध है। विस्तृत हरियाली और बर्फ से ढके पहाड़ों से घिरे इस मठ का परिदृश्य बेहद सुन्दर है। इसमें एक तांत्रिक महाविद्यालय भी है जहाँ युवा भिक्षु बौद्ध धर्म के विभिन्न कर्मकांडों की परंपराओं को सीखते हैं और उनका अभ्यास करते हैं। यह मठ तिब्बती पारंपरिक बौद्ध अध्ययन और प्रथाओं के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से युवा तिब्बती भिक्षुओं के लिए काम कर रहा है। इस मठ की स्थापना परम पावन  दलाई लामा द्वितीय, गेदुन ग्यात्सो (1440-1480) ने की थी ताकि धार्मिक कार्यों को करने में उन्हें सहायता प्राप्त हो सके। इस मठ की शाखाएँ बोधगया, दिल्ली, कुशीनगर, शिमला और इथिका में हैं। आज इस मठ  में लगभग 200 भिक्षु हैं, जो सभी चार मुख्य तिब्बती मठों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन भिक्षुओं को मठ में रहने के दौरान पारंपरिक और आधुनिक शिक्षा तथा मुफ्त आवास दिए जाते हैं। यह चंबा से लगभग 157 किमी दूर स्थित है। 

अन्य आकर्षण