यह प्राचीन मंदिर राजा साहिल वर्मन द्वारा बनाया गया था। आधुनिक चंबा के संस्थापक राजा साहिल वर्मन ने इस मंदिर को 920 ईस्वी में अपनी बेटी चंपावती की याद में बनाया गया था। इसकी वास्तुकला काफी शानदार है और आगंतुकों को नेपाली वास्तुकला से मिलती-जुलती इसकी शिखर वास्तुशैली और अलंकृत नक्काशी जो इसकी दीवारों को सुशोभित करती है, बेहद प्रभावित करती हैं। इसकी छत पर एक बड़ा पहिया स्थित है जो इसे क्षेत्र के अन्य मंदिरों से विलक्षण बनाता है। यहां की मुख्य देवी माँ दुर्गा की अवतार देवी महिषासुरमर्दिनी हैं। इस परिसर में वासुकी नागा और वज़ीर के मंदिर भी स्थित हैं। चूंकि यह मंदिर इतना भव्य है, इसलिए इसकी तुलना अक्सर इस क्षेत्र के सुंदर लक्ष्मी नारायण मंदिर से की जाती है। इस मंदिर में पवित्र नौ दिवसीय त्योहार नवरात्रि के दौरान भारी भीड़ होती है और इसका प्रबंधन व व्यवस्था भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा की जाती है। 

अन्य आकर्षण