दूध तलाई

पिछोला झील के बहुत करीब स्थित दुध तलाई (दूध का एक तालाब) एक गहरी झील है, जो हरी-भरी पहाड़ियों से घिरा एक सुरम्य स्थल है। काफी लोकप्रिय, झील पंडित दीनदयाल उपाध्याय पार्क और मयंक लाल वर्मा गार्डन सहित कई पर्यटन स्थलों से घिरी हुई है।

दूध तलाई

राजसमंद झील

राजसमंद झील उदयपुर के सबसे शानदार स्थलों में से एक है। इसके विशालकाय हरे रूप के बावजूद जो इसे और भी शानदार बनाता है वो है 17वीं सदी में इसपर बना बांध और दक्षिणी छोर पर बना एक अनोखा तटबंध। संगमरमर की छतों, धनुषाकार मंडप और झील में जाते अनेक पत्थर की सीढियों के साथ, चमचमाते पानी पर सफेद तटबंध का दृश्य बहुत अनोखा होता है। यहां पांच तोरणों (वजनी तराजू) के सौंदर्य को देखा जा सकता है, जहां मेवाड़ के राजा तुलादान (जब राजा खुद को सोने में तौलते थे और फिर निवासियों में बांटते थे) का आयोजन करते थे। यहां नौचौकी यानी नौ मंडप भी हैं, जिनका निर्माण महाराणा राज सिंह ने करवाया था। सुंदर नक्काशीदार मंडप देवताओं और प्रकृति की छवी को दर्शाते हैं। मेवाड़ का इतिहास 27 संगमरमर की शिलाओं पर 1,017 शिलालेखों में लिखा हुआ है, जिन्हें 'राज प्रस्ति' के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि ये भारत में मौजूद सबसे लंबी पत्थर की नक्काशी है।

महाराणा राज सिंह द्वारा वर्ष 1660 में निर्मित यह झील लगभग 60 फीट गहरी है। यह गोमती नदी से पानी प्राप्त करती है और इसका उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सीप्लेन बेस के रूप में भी किया गया था।

राजसमंद झील

उदय सागर झील

छोटे झरनों और नहरों में बहते चमचमाते हरे पानी के साथ उदय सागर उदयपुर का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। पहाड़ियों से घिरी झील कई कहानियों से जुड़ी हुई है, जिनमें से सबसे लोकप्रिय यह है कि कैसे वर्ष 1573 में, महाराणा प्रताप सिंह को मुगल सम्राट अकबर की सेना के एक जनरल मान सिंह ने झील के किनारे पर आत्मसमर्पण की बात करने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन महाराणा प्रताप ने मान सिंह का अपमान किया और इसी कारण हल्दीघाटी का युद्ध हुआ।

शहर से 13 किमी दूर पूरब में इस झील का निर्माण वर्ष 1559 में उदयपुर के संस्थापक महाराणा उदय सिंह द्वारा शुरू किया गया था। राजा ने अपने राज्य की पानी की ज़रुरत पूरी करने के लिए बेरच नदी पर एक बांध बनाया था। झील को बांध से आने वाले पानी के अधिक प्रवाह के नियंत्रण के लिए बनाया गया था। वर्ष 1565 में इसका काम पूरा हुआ और आज, झील 4 किमी लंबी, 2.5 किमी चौड़ी और 9 मीटर गहरी है।

उदय सागर झील

फतेह सागर झील

नाशपाती के आकार वाली और अरावली रेंज की हरी-भरी पहाड़ियों से घिरी, फतेह सागर झील उदयपुर की सबसे शांत जगहों में से एक है। मोती मगरी पहाड़ी के ठीक बगल में मौजूद इस झील का निर्माण वर्ष 1678 में महाराणा जय सिंह ने करवाया था। इसका नाम महाराणा फ़तेह सिंह के नाम पर रखा गया था, जिन्होंने आगे चलके इसको और बड़ा करवाया था। फतेह सागर, जो कि जयसमंद के बाद उदयपुर की दूसरी सबसे बड़ी आर्टिफिशियल झील है, जो 2.4 किमी लंबी, 1.6 किमी चौड़ी और 11.5 मीटर गहरी है। इसको अच्छे से प्लान करके बनवाया गया था। इसमे तीन इन्टेक चैनल हैं और एक ओवरफ्लो चैनल भी है जो मानसून के दौरान जल प्रवाह को बनाए रखने में मदद करता है। इसमें मौजूद तीन छोटे द्वीप इसकी सुंदरता को और भी बढ़ा देते हैं। झील का सबसे बड़ा द्वीप नेहरू पार्क है और इसमें एक रेस्तरां और एक छोटा चिड़ियाघर है। राज्य सरकार ने दूसरे द्वीप को एक सार्वजनिक पार्क में बदल दिया है और तीसरे द्वीप में एक सोलर-ऑब्ज़र्विंग साइट है जो एशिया में ऐसी सबसे बड़ी साइट्स में से एक है, जिसे उदयपुर सोलर-ऑबजर्वट्री कहा जाता है। मोती मगरी हिल के नीचे से, आप इसके नज़ारों का आनंद लेने के लिए पैडल बोट या मोटर बोट किराए पर ले सकते हैं।

फतेह सागर झील

पिछोला झील

भव्य पहाड़ों, विशाल किलों और आकर्षक महलों से घिरी, पिछोला झील किसी सपनों की दुनिया से कम नहीं लगती। झील की नीली सतह पर सूर्योदय की पहली किरण के गिरने का नज़ारा जादू-सा लगता है। और ढलते सूरज के साथ हरे-भरे पहाड़ों की परछाइयों का पानी पर पड़ना और साथ-साथ आसपास के रेस्तरां, होटलों और टिमटिमाते सितारों की रोशनी को लहरों पर तैरते देखना भी उतना ही सुंदर दिखाई देता है। उदयपुर के बीचोबीच मौजूद, पिछोला झील शहर की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी झीलों में से एक है। यह वर्ष 1362 में महाराणा लाखा के शासन के दौरान पिचू बजनारा द्वारा बनाई गई थी। कहानियां तो यह भी कहती हैं कि झील की सुंदरता ने महाराणा उदय सिंह को उसके किनारे एक शहर बनाने के लिए लुभाया था। महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने इसको विस्तार दिया। उन्होंने बैडिपोल क्षेत्र में झील पर एक पत्थर का बांध भी बनवाया। आज, झील 4 किमी लंबी और 3 किमी चौड़ी है।
झील पर चार द्वीप हैं: जग निवास, जहां आज होटल लेक पैलेस है, जग मंदिर, जहां इसी नाम का एक महल है, मोहन मंदिर, जहां से राजा हर साल होने वाले गणगौर उत्सव समारोह का आनंद लेते थे और अरसी विलास, एक छोटा-सा द्वीप है, जिसमें एक छोटा महल और एक गोला-बारूद का भंडार था। बताया जाता है कि इसे उदयपुर के एक राजा ने झील पर सूर्यास्त का आनंद लेने के लिए बनाया था। यहां एक अभयारण्य भी है, जहां पर तरह-तरह के पक्षी जैसे एग्रेट्स, कॉर्मोरेंट, कूट, टफ्टेठ बतख, टर्न और किंगफ़िशर देखे जा सकते हैं। कई जगहों पर झील के किनारों को जोड़ने के लिए सुंदर गोलाकार पुल बनाए गए थे। आज इस झील के पूर्वी किनारे पर शानदार सिटी पैलेस है, तो दूसरी ओर दक्षिणी किनारे पर मचला मगरी (मचाला मगरा) या मछली पहाड़ी है, जिस पर एकलिंगगढ़ किले के खंडहर मौजूद हैं।

झील पर की जाने वाली बोट राइड उदयपुर के सबसे बेहतरीन अनुभवों में से एक है। और शांत झील की सैर के दौरान, लेखक रूडयार्ड किपलिंग के इन शब्दों का सही अर्थ समझ आता है: "यदि विनीशियन के पास पिछोला झील होती, तो उसका ये कहना सही ही होता कि, 'मरने से पहले इसे ज़रुर देखना चाहिए'"!

पिछोला झील

जयसमंद झील

हरे भरे पहाड़ों, सफेद संगमरमर के मंदिरों और शानदार महलों से घिरे नीले पानी से जगमगाती जयसमंद झील अपने आप में एक शानदार दृश्य है। उदयपुर से लगभग 50 किमी दूर जयसमंद एशिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्टिफिशल झील है। महाराजा जय सिंह द्वारा वर्ष 1685 में निर्मित, झील 36 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैली है और इसकी लंबाई 14 किमी और चौड़ाई 9 किमी है। झील की गहराई लगभग 102 फीट है!

यह झील ढेबर के नाम से भी जानी जाती है और इसका निर्माण तब किया गया था, जब राजा गोमती नदी पर एक बांध का निर्माण कर रहे थे। झील पर मौजूद बांध आकार में बहुत विशाल है: 1,202 फीट लंबा, 116 फीट ऊंचा और नीचे 70 फीट चौड़ा। झील के केंद्र में भगवान शिव का एक मंदिर है। इसके किनारे पर एक शानदार गर्मियों का महल है, जो कभी उदयपुर के शाही परिवार की महिलाओं के लिए बनवाया गया था। झील के तटबंध पर छह संगमरमर के सेनेटोफ भी हैं। झील में सात द्वीप हैं और इनमें सबसे बड़ा है बाबका भागड़ा।

जयसमंद झील