हिमालय की तराई पर स्थित, ऋषिकेश उत्तर भारत के पावन शहरों में से एक है। उत्तराखंड में स्थित इस छोटे शहर से गंगा होकर बहती है जो ऋषियों, योगाभ्यास करने वालों तथा श्रद्धालुओं का गढ़ माना जाता है। घाटों एवं मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। हाल ही के समय में यह एडवेंचर खेलों का गढ़ भी बन गया है जहां वाइट वॉटर राफ़्टिंग, बंजी जम्पिंग, कैनोइंग व अन्य गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। वर्ष 1960 में जब द बीटल्स शांति एवं अपने संगीत के लिए प्रेरणा प्राप्त करने महऋषि महेश योगी के आश्रम आए थे, बस तभी से शांति की खोज करने वालों के लिए ऋषिकेश पसंदीदा स्थल बन गया है। अकसर यह शहर विश्व की योग राजधानी कहलाता है, शहर के बाहरी इलाकों की ढलानों के शांत वातावरण में आश्रम (आध्यात्मिक एवं ध्यान लगाने के स्थल), योग संस्थान एवं शानदार स्पा रिसॉर्ट स्थित हैं। फरवरी-मार्च में यहां गतिविधियां बढ़ जाती हैं जब यह शहर राज्य के पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग सप्ताह में हिस्सा लेने आए गणमान्य व्यक्तियों तथा योग में रुचि रखने वालों की अगुवाई करता है। ऋषिकेश आयुर्वेद के लिए भी प्रसिद्ध है, आयुर्वेद की शिक्षा देने वाले यहां अनेक संस्थान हैं। यह योग सिखाने वाले संस्थानों के लिए भी प्रसिद्ध है। कुछ नए हैं किंतु उनकी मान्यता बहुत है।

मंदिरों की इस नगरी के हर मोड़ पर किंवदंतियां विद्यमान हैं। किंवदंती के अनुसार हिंदू संत रैभ्य ऋषि ने ईश्वर के दर्शन के लिए गंगा के किनारे कठोर तपस्या की थी। भगवान विष्णु ने संत की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ऋषिकेश का अवतार लिया। एक अन्य किंवदंती के अनुसार भगवान राम के अनुज लक्ष्मण ने यहां गंगा नदी पार करने के लिए जूट की रस्सियों का सेतु बनाया था। ऐसा माना जाता है कि लक्ष्मण झूला आज भी उसी जगह पर स्थित है। यह शहर हिमालय पर स्थित बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री एवं यमुनोत्री जैसे तीर्थस्थलों की यात्रा का आरंभिक बिंदु भी है।  

वहां कैसे पहुंचें