यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जो नीलकंठ कहलाते हैं, ऋषिकेश में यह मंदिर देखने लायक स्थल है। यह मंदिर गंगा के किनारे एक पर्वत के शिखर पर 926 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसकी वास्तुकला बहुत ही सुंदर है। 

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार जिस स्थान पर नीलकंठ महादेव मंदिर है, यह वही जगह है जहां पर भगवान शिव ने विष पीया था। यह विष देवताओं व दानवों के मध्य अमृत की प्राप्ति के लिए हुए समुद्र मंथन के दौरान उत्पन्न हुआ था। इस विष को पीते ही शिव का कंठ नीला हो गया था। बस तभी से भगवान शिव की नीलकंठ के रूप में पूजा की जाने लगी थी। 

इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर देवताओं व दानवों के बीच हुए समुद्रमंथन की झलक उकेरी गई हैं, यद्यपि इसकी दीवारों पर संपूर्ण कथा का उल्लेख किया गया है। श्रद्धालुगण यहां पर शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने, जो मंदिर के भीतरी परिसर में स्थित है तथा प्राकृतिक झरने में स्नान करने आते हैं। यह झरना भी मंदिर परिसर में है। स्वर्ग आश्रम से जंगल के रास्ते से होते हुए तीन-घंटे की पैदल यात्रा करके मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। 

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