भगवान राम को समर्पित इस दूधाधारी मंदिर में रामायण-काल की मूल मूर्तियां विद्यमान हैं जो इस मंदिर को अपनी तरह का दुर्लभ मंदिर बनाता है। यह रायपुर का सबसे प्राचीन मंदिर भी है। 17वीं सदी में कालचूरी शासक जैत सिंह द्वारा बनवाए गए इस मंदिर की बाहरी दीवारां पर भगवान राम से संबंधित सुंदर मूर्तियां उकेरी गई हैं। पौराणिक कथा के अनुसार इस मंदिर का नाम भगवान हनुमान के परम भक्त स्वामी बालभद्र दास के नाम पर रखा गया था। वह दूध-आहारी अर्थात दूध पर निर्भर रहने वाले व्यक्ति थे।

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