पुरानी बस्ती

यहां एक किला है, ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण 1460 ईस्वीं में हुआ था। पुरानी बस्ती दो जलकुंडों बूढ़ा तालाब एवं महाराजबंध तालाब से घिरा हुआ है। कालचूरी राजा बानयार सिंह ने बूढ़ा तालाब में एक हवेली का निर्माण करवाया था। पुराने किले में एक शिलालेख मिला है जिससे ज्ञात होता है कि इसका निर्माण हैहयावंशी शासकों के काल में हुआ था।

महंत घासी स्मारक संग्रहालय

छत्तीसगढ़ की समृद्ध विरासत को देखने का सशक्त माध्यम महंत घासी स्मारक संग्रहालय कलेक्ट्रेट कार्यालय के विपरीत स्थित है। ऐसा माना जाता है कि राजनंदगांव की महारानी ज्योति देवी ने इसका निर्माण कराया था। इसमें आकर्षक कलाकृतियां, जटिल रूप से गढ़ी गईं मूर्तियां, प्राचीन शिलालेख एवं दुर्लभ सिक्के प्रदर्शित किए गए हैं।  

महंत घासी स्मारक संग्रहालय

टाउन हॉल

वर्ष1887 में उद्घाटित एक राजसी औपनिवेशिक संरचना, टाउन हॉल को पहले विक्टोरिया जुबली हॉल के रूप में जाना जाता था। यह कलेक्ट्रेट भवन और शास्त्री चौक से सटा हुआ है। शानदार हॉल भारत के इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाओं का गवाह रहा है। रायपुर किले से लाये गये पत्थरों से निर्मित टाउन हॉल का पुनरूद्धार राज्य नगरपालिका द्वारा किया गया है जो प्रभावी ढंग से इसकी पूर्व महिमा को पुनर्स्थापित रहा है।

राजकुमार कॉलेज

वर्ष1882 में बरार के तत्कालीन मुख्य आयुक्त सर एंड्रयू फ्रेजर द्वारा जबलपुर में स्थापित, राजकुमार कॉलेज इस क्षेत्र के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में से एक है। यह परिसर, जो पूर्वी राज्यों के जमींदारों और शासकों के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए बनाया गया था, वर्ष1894 में रायपुर में स्थानांतरित कर दिया गया था। अंततः इसे शहर में पूरी तरह से आवासीय शिक्षण संस्थान में बदल दिया गया। एक रमणीय परिवेश में राजसी वास्तुकला, उद्यानों और आकर्षक प्रकाश व्यवस्था के साथ यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।

विवेकानंद सरोवर

 बुध तालाब के रूप में जाना जानेवाला, विवेकानंद सरोवर रायपुर की सबसे पुरानी झील है। माना जाता है कि इससे श्रद्धेय आदिवासी देवता बुध देव का संबंध है। झील का मुख्य आकर्षण केंद्रीय द्वीप है, जहां सुंदर नीलाभ गार्डन बनाया गया है। पिछला हिस्सा अनेक प्रकार की तितलियों, विभिन्न प्रजातियों के फूलों और विभिन्न फव्वारे का घर है, जिसे शाम को रंग-बिरंगे प्रकाश से प्रकाशित किया जाता है। झील में स्वामी विवेकानंद की 37 फुट ऊंची प्रतिमा भी है, जिसे लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में मूर्ति के लिए सबसे बड़े मॉडल के रूप में दर्ज किया गया है।

पुरखौती मुक्तांगन

वर्ष2006 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा उद्घाटित, पुरखौती मुक्तांगन, नया रायपुर क्षेत्र में एक ओपन-एयर आर्ट म्यूज़ियम-सह-गार्डन है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से स्थापित और विकसित, पुरखौती मुक्तांगन पर्यटकों को आदिवासी संस्कृति की ओर आकर्षित करने के साथ-साथ राज्य की लोक कला के विभिन्न रूपों और प्रथाओं की एक झलक दिखलाता है। इनमें राज्य के आदिवासी समूहों के आवास, लोक नृत्य, जीवन शैली और भोजन की आदतों का चित्रण तथा कलाकृतियों और लोक कलाकृतियों का दिलचस्प प्रदर्शन शामिल है।