केसरिया पटना से लगभग 114 किमी दूर स्थित है और पूर्वी चंपारण जिले में बौद्ध सर्किट पर स्थित बौद्ध विरासत का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यह वैशाली से लगभग 40 किमी दूरी पर और उत्तर प्रदेश के कुशीनगर से 150 किमी दूर है। यह दुनिया के सबसे बड़े बौद्ध स्तूपों में से एक हैए जिसकी ऊंचाई 104 फिट और 1ए400 फिट की आधार परिधि है। केसरिया इसलिए पूजनीय माना जाता है क्योंकि यह वह स्थान हैए जहां भगवान बुद्ध ने महानिर्वाण से पहले रात गुजारी थी। ऐसा माना जाता है कि लिच्छवीए जो महात्मा बुद्ध के महानिर्वाण के बाद वैशाली लौट आए थेए उन्होंने भगवान बुद्ध के अंतिम.दिनों के स्मरण के लिए इस स्तूप का निर्माण करवाया था। अनुमान लगाया जाता है कि इसका निर्माण 200 ईण् से 750 ईण् के बीच हुआ था।इसका उत्खनन वर्ष 1998 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किया गया। इसके पहले यह सिर्फ एक बड़ा टीला था। एएसआई ने इसकी ऊंचाई 150 फिट मापी थीए जो साल भर में घटकर 123 फिट हो गई। वर्ष 1934 के भूकंप के बाद इसकी ऊंचाई और कम हो गई। यह स्तूप छह मंजिल का है। इस स्तूप से भगवान बुद्ध की विभिन्य मुद्राओं में कई मूर्तियां मिली हैंय जिसमें भगवान बुद्ध की प्रसिद्ध भूमि स्पर्श मुद्रा भी शामिल है। ये मूर्तियां मिट्टी और पथ्थर से बनाई गई हैं। यहां कई सिक्केए तीर की नोकए टेराकोटा और तांबे की वस्तुएंए मिट्टी के दीपक और सजावटी ईंटों की खोज की गई है।

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