पटना में सबसे महत्वपूर्ण प्रारंभिक पुरातात्विक अवशेषों में से एक अगम कुआं गुलज़ारबाग रेलवे स्टेशन के करीब स्थित है। इसके नाम का अर्थ है कि अथाह; जिसकी गहराई न मापी जा सके है। ऐसा माना जाता है कि मौर्य सम्राट अशोक का इस कुएं से गहरा संबंध था। कहा जाता है सम्राट अशोक के शासनकाल में इस कुएं का प्रयोग नरक कक्षों और लोगों को यातना देने के लिए किया जाता था। अपराधियों को इस कुएं की जलती लपटों में फेंक दिया जाता था। किंवदंतियां कहती है कि यहां सम्राट अशोक ने अपने 99 भाइयों को कुएं में फेंककर मार डाला था। सम्राट अशोक का उद्देश्य मौर्य साम्राज्य के सिंहासन का स्वामी बनना था।

ऐसा भी कहा जाता है कुएं के नीचे गंगा नदी का पानी है। एक बार एक संत को इस कुएं में एक छड़ी मिली थी, जो समुद्र में खो चुकी थी। इससे यह अनुमान लगाया गया कि कुआं पाताल से जुड़ा हुआ है। इस कुएं के गहरे पानी में आठ मेहराबदार खिड़कियां जिनसे इस कुएं के गहरे पानी की एक झलक मिलती है। बादशाह अकबर के शासन काल में कुएं के चारों ओर छत बनवाई गई थी। इस कुएं से संबंधित कई अन्य रोचक कहानियां भी हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि जैन भिक्षु सुदर्शन को राजा चंद ने इस कुएं में फेंकवा दिया था, इसके बावजूद वह एक कमल के फूल पर तैरते हुई सतह पर आ गए। इसकी गहराई 105 फिट मानी जाती थी लेकिन 1990 के दशक में एक सफाई परियोजना के दौरान इसकी गहराई 65 फिट पाई गई। कहा जाता है कि यह कुआं कभी सूखता नहीं और इसके पानी का स्तर 1 से 5 फिट के बीच घटता-बढ़ता रहता है।

भक्तजन इस कुएं में फूल और सिक्के फेंकते है, इसे शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पहले के समय में मुगल अधिकारी इस कुएं में सोने और चांदी के सिक्के फेंकते थे।

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