मार्कंडा

8 वीं शताब्दी का मार्कंडा महादेव मंदिर नागपुर के प्रमुख आकर्षणों में से एक है, जो बड़ी संख्या में भक्तों के साथ पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह मंदिर वैनगंगा नदी के तट पर स्थित है। इस मंदिर परिसर को मिनी खजुराहो के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर परिसर 20 मंदिरों का एक समूह है, जो मध्य प्रदेश के खजुराहो में मंदिरों की वास्तुकला से लैस है। ये मंदिर विदर्भ इलाके के सबसे बेहतरीन मंदिरों में से एक है। घुमावदार वेनगंगा नदी के ऊपर छोटी पहाड़ियों से घिरा हुआ यह मंदिर धार्मिक स्थल से अधिक पर्यटन स्थल लगता है। इस परिसर के 20 मंदिरों में से, चार अच्छी तरह से सजे-धजे हैं। मार्कंडेय ऋषि, यमधर्म, मृकंडा ऋषि और शंकर मंदिर की छटा देखते ही बनती है। अधिकांश मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं और मार्कण्डा नाम माकंडेय ऋषि के नाम से पड़ा है। मार्कर्डा मंदिर नागपुर से 190 किमी की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर पर्यटकों के लिए बहुत ही अच्छा खोजी स्थान है।

मार्कंडा

ताडोबा अंधारी राष्ट्रीय उद्यान

ताडोबा अंधारी नेशनल पार्क महाराष्ट्र में सबसे बड़े राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। यह पार्क बाघ के शौकीनों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। पार्क घने जंगलों, चिकनी घास के मैदानों और गहरी घाटियों की कुदरती खूबसूरती समेटे भारत के कुछ बाघ अभ्यारण्यों में से एक है। यहां पर्यटक शाही बाघों और उनके कुदरती ठिकानों को आसानी से देख सकते हैं। झूमते सागौन के पेड़ों से भरा यह नेशनल पार्क अपने आप में अनूठा है। इस पार्क की कुदरती सुंदरता का पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका एक खुली टॉप जिप्सी में सैर करना है। पार्क में स्लॉथ भालू, तेंदुए, गौर, नीलगाय, पक्षी, धारीदार लकड़बग्घे, सांभर, भौंकने वाले मृग, चीतल और जंगली कुत्ते भी पर्यटकों को लुभाते हैं। राष्ट्रीय उद्यान को तीन वन श्रेणियों में विभाजित किया गया है, जिन्हें ताडोबा उत्तर रेंज, कोलसा दक्षिण रेंज और मोरहुरली रेंज के रूप में जाना जाता है। जंगल भी कई प्रकार के सापों का घर है, जिनमें अजगर और कोबरा को देखकर नया रोमांच महसूस कर सकते है। पार्क हर साल 15 अक्टूबर से 30 जून तक खुला रहता है और मंगलवार को बंद रहता है। नेशनल पार्क के कोलारा और मोहुरली प्रवेश द्वार के पास आवास की सुविधा भी उपलब्ध है। ताडोबा अंधारी नेशनल पार्क नागपुर से 150 किमी की दूर है।

ताडोबा अंधारी राष्ट्रीय उद्यान

पेंच राष्ट्रीय उद्यान

नागपुर से लगभग 95 किमी दूर स्थित, पेंच राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश राज्य के दक्षिणी भाग में स्थित है। मन को लुभाने वाली मनोहर छटा, वनस्पतियों और जीवों के खजाने को अपने आंचल में समेटे यह नेशनल पार्क अपने आपको जोखिम में डालकर जंगली पशुओं से लगाव रखने के शौकीनों के लिए बहुत ही कमाल की जगह है। इस पार्क में शाही बंगाल टाइगर, चीतल, भेड़िया, भारतीय तेंदुआ, गौर, चार सींग वाले हिरण, स्लोथ भालू आदि जगह-जगह पर देखे जा सकते हैं, जो पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इसके अलावा, कौवा तीतर, मोर, पिंटेल, सीटी बजाते हुए पक्षियों की आवाजें पर्यटकों को यहां बांधें रखतीं हैं। भारतीय रोलर, वैगेट, मुनिया, जलपक्षी, नीला किंगफिशर, क्रिमसन-ब्रेस्टेड बारबेट, रेड-वैंटेड बुलबुल देखकर यहां आने वाले खुद को खुशकिस्मत समझते हैं।  पेंच नदी पर स्थित होने के कारण यह पार्क पेंच नेशनल पार्क के नाम से मशहूर है। उत्तर से दक्षिण तक पार्क के सहारे बहती पेंच नदी इसे दो समान पश्चिमी और पूर्वी हिस्सों में बांटती है। इनमें से एक सिवनी में और दूसरा छिंदवाड़ा जिले में पड़ता है।

पेंच राष्ट्रीय उद्यान

टिपेश्वर (टिपेश्वर) अभयारण्य

बाघ प्रेमियों के लिए, टिपेश्वर अभयारण्य बेजोड़ स्थान है। बाघ के अलावा रोमांच पैदा करने वाले अन्य कुछ जीवों को भी आप यहां देख सकते हैं। इन जीवों में ब्लैकबक्स, ब्लू बुल, चोल, सांबर, बंदर, जंगली बिल्लियाँ, भेड़िये, भालू, सियार और जंगली सूअर शामिल हैं। अभयारण्य देश के उन कुछ स्थलों में से एक है, जहाँ पर्यटक शाही बाघों को आसानी से देख सकते हैं। देश में जितने बाघ हैं, उनमें से लगभग 13 बाघ यहां पर रहते हैं। टाइगर स्पॉटिंग के लिए अभयारण्य की यात्रा का सबसे अच्छा समय अप्रैल और मई है। पर्यटक टिपेश्वर अभयारण्य के घने जंगलों की खोज के लिए आनलाइन सफारी बुक कर सकते हैं। यह अभयारण्य नागपुर से लगभग 172 किमी की दूरी पर स्थित है। यह अभयारण्य प्रकृति प्रेमियों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र है।

टिपेश्वर (टिपेश्वर) अभयारण्य