सबसे लोकप्रिय घाटों में से एक विश्राम घाट यमुना नदी के तट पर स्थित है। हिंदी शब्द ‘विश्राम’ का अर्थ होता है आराम करना और यह माना जाता है कि भगवान बलराम के साथ भगवान कृष्ण ने अपने मामा कंस का वध करने के बाद यहां विश्राम किया था।
घाट की सीढ़ियां संगमरमर से बनी हैं और प्रवेश द्वार पर एक बड़े पत्थर के मेहराब बने हैं। इस घाट पर की जाने वाली शाम की आरती देखना बहुत अच्छा लगता है। पर्यटक यमुना नदी पर तैरते हुए मिट्टी के दीपक देख सकते हैं और मंत्रों के जाप में शामिल हो सकते हैं। देवी यमुना को समर्पित इस घाट पर एक मुख्य मंदिर है। यहां प्रतिष्ठित मूर्ति पर रत्न जड़ित मुकुट और ताजी फूलों की माला पहनाई जाती है। दीपावली के कुछ दिन बाद मनाए जाने वाले त्योहार भैया दूज के अवसर पर बहनें अपने भाइयों के साथ इस पवित्र नदी के इस घाट पर डुबकी लगाती हैं।
यहां का विश्राम घाट भी काफी महत्वपूर्ण है। यहीं से मथुरा के पवित्र स्थलों की परिक्रमा शुरू और समाप्त होती है। घाट के आस-पास कई सुंदर मंदिर हैं, जहां पूरे वर्ष पर्यटक आते रहते हैं। इनमें से मुकुट, राधा-दामोदर, मुरली मनोहर, नील कंठेश्वर, यमुना-कृष्णा, लंगाली हनुमान और नरसिंह मंदिर शामिल हैं। पर्यटक शाम के समय नाव की सवारी से विश्राम घाट के नजारों का आनंद ले सकते हैं।

अन्य आकर्षण