मथुरा से 10 किलोमीटर दूर स्थित गोकुल एक देहाती गांव है, जिसके बारे में यह कहा जाता है कि यहां भगवान कृष्ण की पालक मां यशोदा के पास उन्हें छिपकर लाया गया था। यह स्थान यमुना नदी के तट पर स्थित है और यहां कृष्ण जन्माष्टमी तथा नंदोत्सव के त्योहारों के दौरान काफी भीड़ होती है। किंवदंतियों और एक रंगीन इतिहास में डूबा गोकुल भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, जो इस दौरान यहां के मंदिरों और घाटों पर आते हैं। इस गांव का नाम संत बल्लभाचार्य जी से भी जुड़ा हुआ है, जो कुछ समय तक यहां रहे।
इस स्थान में राधा कुंड और ‘याम कुंड नामक दो जलाशय हैं। यह माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने वृषाभासुर (बैल रूपी दानव) को मारा था। ऐसा करना पाप माना जाता था, इसलिए इस पाप से मुक्त होने के उपाय के रूप में राधा रानी और उनकी सखी गोपियों ने भगवान कृष्ण से किसी पवित्र जलाशय में डुबकी लगाने को कहा। तत्पश्चात भगवान कृष्ण ने अपनी एड़ी से जमीन पर प्रहार किया और एक कुंड बन गया, जो सभी पवित्र नदियों के जल से भर गया। उन्होंने इसी कुंड में डुबकी लगाई। तभी से इस कुंड को ‘याम कुंड के नाम से जाना जाने लगा। ऐसा कहा जाता है कि राधा रानी और उसकी सहेलियों ने अपनी चूड़ियों से एक और कुंड खोदा था, जिसे राधा कुंड के नाम से जाना जाता है। प्रतिवर्ष अक्टूबर-नवंबर के महीने महीने में यहां अहोई अष्टमी का मेला लगता है, जिससे यहां सैकड़ों पैर पड़ने से पैरों के निशान बन जाते हैं।
गोकुल में दाऊजी, राजा ठाकुर, योगमाया, गोपाल लाल जी, गोकुल नाथ और मोर वाला मंदिर आदि कई दर्शनीय स्थल हैं। सुंदर ठकुरानी घाट से अपनी यात्रा शुरू करें। यहां पर संत बल्लभाचार्य जी यमुना महारानी की प्रार्थना करते थे। यह स्थान भगवान विष्णु के अनुयायियों में काफी लोकप्रिय है, विशेषतः बल्लभ संप्रदाय के अनुयायियों के लिए। इसके बाद शाही नंद भवन की ओर जाएं। इसके निर्माण का श्रेय देवताओं के वास्तुकार विश्वकर्मा को दिया जाता है और कहा जाता है कि यह कृष्ण के पालक पिता नंद का घर है। यह भी कहा जाता है कि इस घर में भगवान कृष्ण और उनके बड़े भाई भगवान बलराम का पालन-पोषण हुआ था।
एक और पौराणिक कथा है कि संत स्वामी ज्ञानदास जी ने बारह वर्ष तक भगवान कृष्ण की आराधना की थी और भगवान कृष्ण उनके सामने प्रकट हुए थे। रंग बिहारी जी मंदिर इसलिए रमण रेती पर स्थापित किया गया था, जिस रेत पर भगवान कृष्ण ने बाल लीला की थी। मंदिर में स्थित मूर्ति को संत ज्ञानदास जी द्वारा वर्णित भगवान कृष्ण की छवि के अनुरूप बनाया गया है।

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