एक पौराणिक कथा के अनुसार यह माना जाता है कि बरसाना वह स्थान है, जहां भगवान कृष्ण की सखी राधा रानी निवास करती थी। इस क्षेत्र में कई मंदिर हैं, लेकिन सबसे प्रमुख राधा रानी मंदिर है। इसे लाड़ली जी (प्रिया) या श्रीजी भी कहा जाता है और ऐसा माना जाता है कि इसे लगभग पांच हजार वर्ष पहले बज्रनाभ द्वारा स्थापित किया गया था।
यहां एक और मंदिर देखने लायक है और वह है मान मंदिर। ऐसा कहा जाता है कि राधा जी यहां तब आती थी, जब भगवान कृष्ण से नाराज हो जाती थीं और भगवान कृष्ण उनकी मान-मनुहार करते थे। यहां एक छोटी सी सुरंग भी है, जो उस कमरे तक जाती है, जहां राधा जी की नाराजगी दूर की जाती थी। आप यहां मोर कुटी भी देख सकते हैं, जहां देवी राधा और भगवान कृष्ण मोर और मोरनी के रूप में नृत्य करते थे। यहां एक कृष्ण कुंड है, जहां वे स्नान करते थे और यहां दो पहाड़ियों के बीच एक संकरा रास्ता है। एक किंवदंती के अनुसार भगवान कृष्ण और उनके सखा ग्वालबाल राधा और उनकी सहेलियों का रास्ता रोकते थे और उनसे घी, माखन तथा दही मांगते थे।
कुछ अन्य मंदिरों में जयपुर मंदिर, पीली पोखर और डंगर के साथ-साथ अन्य दर्शनीय स्थल जैसे भानोखर का जलाशय, प्रेम सरोवर, रूप सरोवर आदि स्थित हैं। बरसाने की लट्ठमार होली और राधा रानी की जयंती के लिए भी जाना जाता है। जयंती समारोह के दौरान श्रद्धालु महिलाएं सुबह-सुबह मोर को लड्डू चढ़ाती हैं। यह अनुष्ठान भगवान कृष्ण को भोग लगाने के प्रतीक के रूप में किया जाता है।

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