अथिरापल्ली झरने

केरल राज्य का सबसे प्रसिद्ध और निर्मल झरना है अथिराप्पिल्ली। त्रिशूर से लगभग 63 किमी और कोच्चि से 70 किमी दूर स्थित, यह  एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल है और वाज़चल जलप्रपात के पास स्थित है, जो एक और रमणीय स्थल है। पश्चिमी घाट के घने जंगल के बीच बने अथिराप्पिल्ली झरने बहु-परतों वाले हैं। पक्षी-प्रेमियों के लिए यह पसंदीदा जगह है क्योंकि यहां कई तरह के प्रवासी और स्थानिक पक्षी आते हैं। यदि आप भाग्यशाली हैं, तो आप हॉर्नबिल को भी देख पाएंगे। पर्यटक रिवर राफ्टिंग और ट्रैकिंग जैसी रोमांचकारी गतिविधयों का भी आनंद ले सकते हैं। लगभग 5 किमी दूर स्थित हैं, वाज़चल झरने। वे अपने लुभावने दृश्य और समृद्ध स्थानिक जीवों के लिए जाने जाते हैं जिनका यह निवास है। माना जाता है कि हॉर्नबिल की लगभग चार लुप्तप्राय प्रजातियां वहां निवास करती हैं।

अथिरापल्ली झरने

थेट्टेककड पक्षी अभयारण्य

शहर के बाहरी इलाके में स्थित, थेट्टेककड पक्षी अभयारण्य, पेरियार नदी के उत्तरी तट पर स्थित केरल का पहला पक्षी अभयारण्य था। पश्चिमी घाट की तलहटी में एक उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन, इस पक्षी अभयारण्य में 300 से अधिक प्रजातियों का निवास है, जिनमें ब्रोंज्ड ड्रोंगो, श्रीलंकाई फ्रॉग माउथ, रैकेट-टेल ड्रोंगो, शामा, मालाबार तोते, मालाबार ग्रे हॉर्नबिल, सफेद-नीले रंग के फ्लाईकैचर इत्यादि प्रमुख हैं। महोगनी, सागौन और शीशम के खूबसूरत वृक्षारोपण के बीच जंगल में सरीसृपों और 28 प्रकार के स्तनधारियों की लगभग नौ प्रजातियां हैं। इसे प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी डॉ. सलीम अली द्वारा लोकप्रिय बनाया गया था, जिन्होंने इसे प्रायद्वीपीय भारत में सबसे समृद्ध पक्षी आवास कहा था।अभयारण्य 25 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें सदाबहार और उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वनस्पति निहित हैं।

थेट्टेककड पक्षी अभयारण्य

वाइपेन

पुर्तगाली आकर्षण में सराबोर, वाइपेन कोच्चि के बाहरी इलाके में स्थित एक अनोखा द्वीप है। इसके तटों को चूमता सूरज, मनोरम तट, पुराने प्रकाशस्तंभ और रोमांचकारी ट्रेकिंग ट्रैल्स, वाइपेन को एक लोकप्रिय पर्यटक पड़ाव बनाते हैं। चेराई, कुझुप्पीली और पुथुवाइप जैसे इसके कुछ तट कोच्चि के सबसे लंबे समुद्र तटों में से हैं। पुथुवाइप बीच केरल के सबसे पुराने प्रकाश स्तंभों में से एक है। पर्यटक कोच्चि के सबसे बड़े मछली पकड़ने के बंदरगाह मुंबाम् की यात्रा कर सकते हैं जो कि वाइपेन के उत्तर में स्थित है। पर्यटक फोर्ट कोच्चि से नौकाएं किराए पर लेकर वाइपेन पहुंच सकते हैं। 27 किलोमीटर लंबा यह द्वीप गोश्री पुलों के पुल से शहर से जुड़ा हुआ है। वे वाइपेन में कलामुक्कू से आरंभ होते हैं, और दो अन्य द्वीपों, मुलुवक्कड़ और वलापदम को छूते हैं, और फिर कोच्चि में मरीन ड्राइव पर समाप्त होते हैं। वाइपेन के अन्य लोकप्रिय आकर्षणों में नेदुंगड, पल्लीपुरम किला, सहोदरन अय्यप्पन स्मरकम, वीरनपुझा, एलामकुन्नपुझा मंदिर का एक हिस्सा है, वेम्बनाड झील, क्रिअज मिलग्रेस चर्च, श्री पेरुम्पदापिल भगवती मंदिर, नजराकाल फिश फार्म।

वाइपेन

मरीन ड्राइव

कोच्चि के सुरम्य बैकवाटर के सामने एक आश्चर्यजनक सैरगाह है मरीन ड्राइव जो शहर के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। सुंदर पगडंडी के साथ-साथ टहलें और तब दूर से ही आपको कोच्चि बंदरगाह नजर आने लगेगा। बैकवाटर के सुरम्य दृश्यों का आनंद लें, क्योंकि ठंडी हवा आपके बालों को छूती हुई निकलती है। पर्यटक शांत पानी में नौका विहार या परिभ्रमण करके उस जगह के बारे में जान सकते हैं। कई क्रूज़ शहर की रोशनी के बीच रात्रि-भोज का प्रबंध भी  करते हैं। ये रोशनियां झील में प्रतिबिंबित होती हैं और एक अलग ही समां प्रस्तुत करती हैं। पर्यटक रेनबो ब्रिज भी देखने जा सकते हैं, जो एक मेहराब के आकार की संरचना है जिसे रात में जलाया जाता है, जिसे देखने के लिए वहां भीड़ लगी रहती है। इस 3-किलोमीटर लंबी यात्रा में आपको जगह-जगह मॉल और भोजनालय दिख जाएंगे, जहां से पर्यटक अद्वितीय हस्तशिल्प खरीद सकते हैं और पारंपरिक भोजन का स्वाद चख सकते हैं।

मरीन ड्राइव

मंगलवनम पक्षी अभयारण्य

कोच्चि के केंद्र में स्थित मंगलवनम पक्षी अभयारण्य को लोकप्रिय रूप से शहर का हरा फेफड़ा कहा जाता है। इसमें घनी सदाबहार वनस्पति  है जो स्थानिक और प्रवासी पक्षियों को आश्रय प्रदान करती है। कुछ लोकप्रिय प्रजातियां जो आप यहां देख सकते हैं, वे हैं छोटे जलकाग  और काले मुकुट वाले रात के बगुले। पर्यटकों को यहां काले कौवे भी देखने को मिलेंगे जो विभिन्न पक्षियों के अंडों का शिकारी करते हैं। इसके अलावा, आप पेंटेड बैट्स, चूहे, यूरेशियन ऊदबिलाव, तीन-धारियों वाली पाम स्क्वीरेल, और इंडियन फ्लाइंग फॉक्स जैसे स्तनधारियों को देख सकते हैं। अभयारण्य के विहंगम दृश्य के लिए, पर्यटक परिसर के भीतर स्थित प्रहरी दुर्ग में जा सकते हैं। अभयारण्य अरब सागर से घिरा हुआ है जो इसकी मनोरम सुंदरता को और बढ़ाता है। अभयारण्य जाने का सबसे अच्छा समय जनवरी से मार्च तक है।

मंगलवनम पक्षी अभयारण्य

विलिंगडन द्वीप

देश में सबसे बड़े मानव निर्मित द्वीपों में से एक, विलिंगडन द्वीप कोच्चि से दो कदम की दूरी पर ही है। केरल के प्राचीन बैकवाटर से घिर यह द्वीप प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। द्वीप का पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका है, शांत रास्तों पर चलना और टहलते हुए अरब सागर के मनोरम दृश्यों को देखना। विलिंग्डन द्वीप में राज्य के कुछ बेहतरीन होटल भी हैं, साथ ही यह कोच्चि को दुनिया के अन्य बंदरगाहों से भी जोड़ता है। यह द्वीप 1933 में बनाया गया था और इसका नाम भारत के तत्कालीन ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड विलिंगडन के नाम पर रखा गया था। इस कृत्रिम द्वीप के वास्तुकार रॉबर्ट ब्रिस्टो थे और वर्तमान में, यह भूमि भारतीय नौसेना और कोचीन पोर्ट ट्रस्ट के अधीन है। इस द्वीप को आधुनिक कोच्चि बंदरगाह के निर्माण के लिए प्रसिद्ध वेम्बनाड झील के गहरीकरण के दौरान खुदाई में निकली मिट्टी से बनाया गया था।

विलिंगडन द्वीप

चाइनीज फिशिंग नेट

चाइनीड फिशिंग नेट जाल कोच्चि के लिए अद्वितीय हैं, और चीन के अलावा केवल यहीं मिलते हैं। मलयालम में इन्हें चीनीवाला कहा जाता है, और संभवतः चीनी खोजकर्ता झेंग हे इन्हें यहां लाया था। कई मछुआरे इन जालों का उपयोग करके मछली पकड़ कर अपनी आजीविका कमाते हैं, और फोर्ट कोच्चि और वाइपेन के साथ तट का एक पूरा फैलाव वहां नजर आता है। इन जालों के साथ मछुआरों को मछली पकड़ते देखना एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण बन गया है। विशाल झूले की तरह लटके हुए मछली पकड़ने के इन जालों को समुद्र में डाला जाता है और एक निश्चित समय के लिए छोड़ दिया जाता है। जाल को पानी में डुबाने के लिए मछुआरे को उस पर चलना पड़ता है। उसका वजन नेट को डुबाने के लिए पर्याप्त होता है। बाद में, जब वे मछली से भरे होते हैं, तो मछुआरे उन्हें खींचते हैं। एक बार जब मछली पकड़ी जाती है, तो आपको जो मछली पसंद होती है, उसे चुन कर पका सकते हैं। इसे पकाने के लिए वहां झोंपड़ियां भी मिल जाएंगी। ये मछली पकड़ने के जाल 1350 और 1450 ईस्वी के बीच कोच्चि के तट पर स्थापित किए गए थे।

चाइनीज फिशिंग नेट