पडायनी

रंगमंच, व्यंग्य, संगीत, पेंटिंग और नृत्य का एक संगम, पडायनी, कला का एक रूप है, जो पठानमथिट्टा, सेंट्रल त्रावणकोर में किया जाता है।  यह एक प्राचीन अनुष्ठान का भाग है, जो  देवी भद्रकाली के सम्मान में, पम्पा नदी के किनारे स्थित भगवती मंदिरों में किया जाता है। नर्तक बड़े-बड़े मुखौटे पहनते हैं और बहुत तेज लय पर नृत्य करते हैं। कोलम थुल्लल सबसे प्रसिद्ध मुखौटा है जो सुपारी की पत्तियों पर नमूने बनाकर बनाया जाता है। इन मुखौटों को दिव्य पात्रों और आध्यात्मिक शक्तियों का प्रतिनिधित्व माना जाता है। किंवदंती है कि यह नृत्य भगवान शिव और अन्य देवताओं के स्मरण में किया जाता है, जिन्होंने देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नृत्य किया था। 'पडायनी' शब्द का अर्थ है योद्धाओं की कतार। पडायनी मध्य त्रावणवाकोर में वही स्थान रखता है जो उत्तर केरल में थेयम का है। 

पडायनी

कथकली

दुनिया भर में प्रसिद्ध, शानदार कथकली नृत्य भारत के सात शास्त्रीय रूपों में से एक है। लगभग 300 साल पहले की उत्पत्ति, यह नृत्य, संगीत, नाटक, भक्ति, मेकअप और वेशभूषा का मिश्रण है। अतीत व भारतीय महाकाव्यों के दृश्यों को कहानियों के रूप में दिखाने के लिए, इस नृत्य का स्वरूप तैयार किया गया। यह नृत्य दर्शकों को आश्चर्यचकित कर देता है।

जब नर्तक कदमों और गति की एक जटिल श्रृंखला में गोता लगाते हैं, तब वे दर्शकों को न केवल अपनी चाल से बल्कि विस्तृत रूप से चित्रित अपने चेहरों से भी मंत्रमुग्ध कर देते हैं। कलाकारों का मेकअप उस चरित्र पर निर्भर करता है जो वे देवताओं, संतों, देवी-देवताओं, जानवरों और राक्षसों की तरह चित्रित कर रहे होते हैं।

कथकली

कोच्चि बिन्नाले

कोच्चि बिन्नाले के दौरान, कोच्चि शहर की यात्रा करना, कला के आश्चर्यलोक में कदम रखने जैसा लगता है, जिसमें जीवंत रंग, विस्मयकारी चित्र और शानदार नमूने हर मोड़ पर आपका स्वागत करते दिखाई देते हैं। सिर्फ कैनवास के काफिले तक ही सीमित नहीं है, भारत में सबसे बड़ी, यह अंतर्राष्ट्रीय समकालीन कला प्रदर्शनी, पूरे शहर को अपने उत्सव के आकर्षण में सराबोर करती है। इस अवसर पर कलाकारों के रंगों से घर, कैफे और अन्य इमारतों की दीवारों रंग जाती हैं। बिन्नाले चार महीने तक चलने वाली प्रदर्शनी है जो शहर के उपकेंद्र, फोर्ट कोच्चि में आयोजित की जाती है। जब आप उसे देख रहे होते हैं, तो इंस्टॉलेशंस, धर्मगोष्ठियां, स्टॉल और प्रदर्शनियां, 12 अलग-अलग जगहों पर चल रही होती हैं, जो आपको अपनी कलात्मक अभिव्यक्तियों से रोमांचित करती हैं। इंस्टॉलेशंस को देखना, पर्यटकों के लिए एक अविश्वसनीय क्रियाकलाप है जो उन्हें कला का एक अंतरंग अनुभव प्रदान करते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण है एल्स स्टीगर द्वारा प्रदर्शित 'द पिरामिड फॉर एग्ज़ाल्इड पोयट्स', जो पहले हुए बिन्नाले में दिखाया गया था। गीज़ा के पिरामिड की तरह निर्मित, इसमें आगंतुकों का मार्गदर्शन करने के लिए कोई प्रकाश नहीं है, जो उस समय के कवियों की चलती-फिरती कविताओं को सुनते हैं और अपना रास्ता खोजने के लिए संघर्ष करते हैं; एक उत्प्रेरक उन्हें यह महसूस कराने के लिए डिज़ाइन किया गया कि उन कलाकारों ने कैसा महसूस किया होगा।बिन्नाले 2012 में शुरू हुआ था यह और दुनिया में सबसे आकर्षक कला प्रदर्शनियों में से एक बन गया है। इस उत्सव में छह लाख से अधिक लोग शामिल होते हैं।

कोच्चि बिन्नाले

कोचीन कार्निवाल

कोच्चि शहर, कोचीन कार्निवल के दौरान रोशनी से जगमगा उठता है,  जो जीवन और शक्ति का उत्सव है। आमतौर पर, दिसंबर के आखिरी दो हफ्तों के दौरान, कार्निवल में कई प्रतियोगिताओं और गतिविधियों का आयोजन किया जाता है, जैसे वदम वली (रस्साकशी), कलाम वर (जमीन पर बनाई जाने वाली आकृतियां), बीच फुटबॉल, तैराकी, मैराथन दौड़, साइकिल रेसिंग, बुलेट रेसिंग, कयाकिंग, बॉक्सिंग, कबड्डी और बीच बाइक रेसिंग। उन लोगों के लिए जो इन चीजों का शौक रखते हैं, कला से जुड़े कायर्क्रम, संगीत कार्यक्रम और विस्तृत रैलियां एक अद्भुत विकल्प हो सकते हैं। कार्निवाल में एक प्रमुख आकर्षण 31 दिसंबर और 1 जनवरी के बीच पपनई का पुतला जलाना होता है। यह बीते साल को अलविदा कहने और नए का स्वागत करने के लिए किया जाता है। यह माना जाता है कि बुराई को दूर भगाकर नए जन्म की तैयारी की जाती है। इसके बाद आतिशबाजियों का शानदार प्रदर्शन होता है। इसका समापन 1 जनवरी को होता है और यह एक विशेष दिन होता है, जिसमें एक भव्य जुलूस निकाला जाता है, जिसका नेतृत्व एक सजा-धजा हाथी करता है।

कार्निवल की उत्पत्ति 1503 और 1663 के बीच पुर्तगाली शासन के समय में हुई थी। उपनिवेशवादियों ने फोर्ट कोच्चि को अपनी राजधानी बनाया और इसे नए साल के समारोह के लिए स्थान बनाया। हालांकि यह परंपरा पुर्तगाली शासन के साथ समाप्त हो गई, लेकिन एंटनी अनूप स्कारिया, जॉर्ज ऑगस्टीन थुन्दीपराम्बिल और आनंद फेलिक्स स्केरिया के नामक तीन आदमियों ने इसे फिर से पुनर्जीवित किया। यह त्योहार तब से मनाया जा रहा है।

कोचीन कार्निवाल