दुनिया भर में प्रसिद्ध, शानदार कथकली नृत्य भारत के सात शास्त्रीय रूपों में से एक है। लगभग 300 साल पहले की उत्पत्ति, यह नृत्य, संगीत, नाटक, भक्ति, मेकअप और वेशभूषा का मिश्रण है। अतीत व भारतीय महाकाव्यों के दृश्यों को कहानियों के रूप में दिखाने के लिए, इस नृत्य का स्वरूप तैयार किया गया। यह नृत्य दर्शकों को आश्चर्यचकित कर देता है।

जब नर्तक कदमों और गति की एक जटिल श्रृंखला में गोता लगाते हैं, तब वे दर्शकों को न केवल अपनी चाल से बल्कि विस्तृत रूप से चित्रित अपने चेहरों से भी मंत्रमुग्ध कर देते हैं। कलाकारों का मेकअप उस चरित्र पर निर्भर करता है जो वे देवताओं, संतों, देवी-देवताओं, जानवरों और राक्षसों की तरह चित्रित कर रहे होते हैं।

एक नर्तक, गहरे लाल होंठों के साथ, भगवान शिव और भगवान कृष्ण जैसे देवताओं और महान पात्रों को दर्शाता है। इस बीच, केसरिया, पीले या नारंगी रंग के मेकअप में देवी सीता और द्रौपदी जैसे महिला पात्रों को दर्शाया जाता है। एक दिव्य चरित्र सफेद दाढ़ी के लगाए आता है, जबकि महिलाओं और भिक्षुओं के लिए पीले रंग का प्रयोग किया जाता है। काले रंग का उपयोग शिकारी और राक्षसों का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया जाता है। नर्तक मुखौटे और सिर पर मुकुट पहनते हैं जो उनके मेकअप को और प्रभावशाली बनाते हैं। नर्तकों का मेकअप करने में कई घंटे लगते हैं।

कलाकार विभिन्न संगीत वाद्ययंत्रों की धुन पर नाचते हैं, जिनमें से 'केम्पटा' का उपयोग अच्छे और बुरे के बीच लड़ाई के दृश्यों में या किसी दृश्य के समापन पर किया जाता है। 'अतांता' का उपयोग दिव्य पात्रों के दृश्यों के दौरान किया जाता है, जबकि 'मुरी अतांता' का प्रयोग हास्य और हल्के-फुल्के अभिनय के दौरान किया जाता है।