कांचीपुरम से लगभग 15 किमी दूर पलार नदी के किनारे ममंदूर का चट्टानों को काटकर बनाया गया गुफा मंदिर है। पल्लव शासन के प्रारंभिक वर्षों में निर्मित इस गुफा मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया है।

मंदिर का मुख्य आकर्षण तमिल ब्राह्मी लिपि का एक शिलालेख है। ब्राह्मी सबसे प्रारंभिक भारतीय वर्णमाला लिपि है और इसमें कई क्षेत्रीय विविधताएं मिलती हैंए जिनमें से एक तमिल ब्राह्मी है। कहा जाता है कि यह शिलालेख 300 ईसा पूर्व और 300 ईण् के बीच किसी समय का है।

मंदिर की गुफाएंए यहां का एक और दिलचस्प स्थान हैैए जिन्हें पल्लव राजा महेन्द्रवर्मन प्रथम बनवाया था। इस क्षेत्र में चट्टानों को काटकर बनाए गए चार गुफा मंदिर हैंए जिनमें से दो ममंदुर में हैं और अन्य नरसापलईयम के पड़ोसी गांव में हैं।

पहले गुफा मंदिर में पत्थर की सीढ़ियों से पहुंचा जा सकता है। इसके अग्रभाग में महेंद्रवर्मन वास्तुकला शैली में निर्मित स्तंभ हैं। दूसरी गुफा मंदिर में एक अर्ध.मंडप तथा मुख.मंडप है। यह भगवान ब्रह्माए भगवान शिव और भगवान विष्णु का मंदिर है। तीसरा और सबसे बड़ा मंदिर आंशिक रूप से ही बना हैए जिसके ठीक पीछे पांच ऐसे मंदिर हैं जिनमें किसी देवता की मूर्ति नहीं है। चौथा और सबसे छोटा गुफा मंदिर भी अधूरा हैए और इसमें दो खंभे हैं और छत दो भित्ति स्तम्भों पर टिकी है।

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