कैलाश पर्वत के स्वामी भगवान शिव को समर्पित कैलासनाथर मंदिर शहर के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। एक बड़े मंदिर परिसर में 60 छोटे मंदिर हैंए लेकिन सबसे अनोखी आकृति में भगवान शिव की मुख्य मूर्ति हैए जिसमें 16 धारियां हैं। मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक पल्लव शैली में स्तंभ वाले हॉलए एक ड्योढ़ी और एक पिरामिड टॉवर के रूप में है। मंदिर की दीवारों पर लगभग 240 पैनल उत्कीर्ण हैंए जो नगारा और पल्लव ग्रंथ लिपियों को प्रदर्शित करते हैं। संयोगवशए कैलासनाथर मंदिर में हस्तलिपि के कुछ शुरुआती नमूने भी मिलते हैं। यहां ज्येष्ठ लक्ष्मी ;मूदेवीद्ध और वाली की प्रारंभिक मूर्तियां रखी गई हैं। वास्तुकला में द्रविड़ शैली की छाप लिये हुएए यह स्थान ध्यान और गहन चिन्तन के लिए आदर्श है।

कैलासनाथर मंदिर का निर्माण पल्लव राजा राजसिम्हा ;695 ईण्.722 ईण्द्ध के शासन काल में शुरू हुआ और 8वीं शताब्दी में पल्लव वंश के महेंद्रवर्मन तृतीय द्वारा पूरा किया गया।

इस मंदिर में पर्यटक देश.विदेश से दर्शनार्थ आते हैं। मंदिर का शायद सबसे लोकप्रिय आकर्षण आंतरिक मार्ग हैए जो कैलासनाथर की मूर्ति के चारों ओर बना हुआ हैए जो किसी व्यक्ति की आत्मा के स्वर्ग में प्रवेश का सूचक है। भगवान शिव के वाहन नंदी की भी यहां पूजा की जाती है।

मंदिर का परिसर पत्थर से निर्मित हैए इसलिए दर्शन के लिए सबसे अच्छा समय सुबह और शाम का होता हैए क्योंकि दोपहर के समय तपते सूरज से अत्यंत गर्म हो गये पत्थरों पर नंगे पांव चलना किसी चुनौती से कम नहीं होता।

अन्य आकर्षण