पल्लव काल में बनाए थिरूपुरूर का यह प्राचीन मंदिर भगवान मुरुग के 33 सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। थिरूपुरूर नाम धार्मिक युद्ध स्थल का अनुवाद है। प्रणव पर्वत के साथ लगा यह मंदिर पूर्वामुखी है।

मंदिर की अवस्थिति भगवान मुरुग की विजय का प्रतिनिधित्व करता है। पुराणों के अनुसारए थिरूपुरूर को अभयमार्ग ;आसमानद्ध के रूप में जाना जाता हैए जहां भगवान ने राक्षसों के खिलाफ लड़ाई में विजय प्राप्त की थी।

मंदिर में 10वीं शताब्दी तक के शिलालेख हैंए जिनमें से कुछ 12वीं शताब्दी के चोल वंश से संबंधित हैं। मंदिर के शिलालेखों में से एक से संकेत मिलता है कि यह मंदिर पल्लवों द्वारा बनाया गया है। मदुरै के तमिल संगम के कवियों में से एक के वंशज चिदंबरा स्वामीगल द्वारा पुनरू खोजे जाने से पूर्व यह मंदिर कई वर्षों तक गुमशुदा सा था।

थिरूपुरूर में पूरे साल त्यौहार मनाए जाते हैंए लेकिन इन त्यौहारों में वैकासी विसगमए कंठाशष्टी और नवरात्रि अधिक महत्वपूर्ण हैं।

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