यह दरअसल एक झील है जिसका नाम बरुआ सागर ताल पर पड़ा है। करीब 260 वर्ष पहले इस झील का निर्माण ओरछा के राजा उदित सिंह ने करवाया था। यह झील खजुराहो जाने वाले मार्ग पर पड़ती है। झांसी से करीब 20 किमी दूर एक किला है, जहां यह बेहद खूबसूरत झील स्थित है। यह वही स्थान है, जहां पेशवा सैनिकों और बुंदेलों के बीच सन 1744 में युद्ध लड़ा गया था और इसी स्थान पर महाराजा मधुजी सिंधिया के बड़े भाई जोतिभाऊ की हत्या भी हुई थी। इस पूरी जगह की वास्तुकला अपने आप में बेहद अनूठी और उदाहरणीय है। यहीं पर दो बेहद प्राचीन मंदिरों के अवशेष भी देखे जा सकते हैं, जो ग्रेनाइट से बने हैं। इन मंदिरों का निर्माण नौवीं से तेहरवीं सदी के बीच चंदेल शासकों में करवाया था। 

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