अपनी विशिष्ट वास्तु-कला शैली और आध्यात्मिक महत्त्व से समृद्ध देओगढ़ शहर पहली ही नजर में पर्यटकों का दिल जीत लेता है। झांसी से करीब 133 किमी दूर, इस शहर को घूमना हर सैलानी के लिए एक यादगार अनुभव की तरह है। गुप्त शासन काल, गुर्जर-प्रतिहार वंश, गोंडा, मराठाओं और दिल्ली की मुगलिया सल्तनत के शासन काल के दौरान देओगढ़ एक बेहद शानदार और प्रसिद्ध शहर हुआ करता था। यहां पांचवीं सदी में गुप्तकाल के दौरान बनवाये गये भव्य दशावतार मंदिर के अवशेष उस काल की समृद्धि और वैभव की दास्तान सुनाते प्रतीत होते हैं। यहां बहुत से जैन मंदिर भी हैं, जो अपनी नायाब एवं उत्कृष्ट शैली के लिए सैलानियों के बीच खासे लोकप्रिय हैं। देओगढ़ में करीब 2 हजार शिल्प एवं कलाकृतियां एक ही स्थान पर मौजूद हैं, जो विश्व में अपने ढंग का एकमात्र संग्रह है और यही बात इस स्थान को बेहद खास बना देती है। यहां आने वाले पर्यटक चट्टान को काटकर बनाई गयी सिद्ध-की-गुफा भी देखने जा सकते हैं, जो छठी शताब्दी में बनवाई गयी थी।

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