रघुनाथ द्वितिय नवलकर द्वारा 18वीं सदी में बनवाया गया प्रसिद्ध रानी महल, रानी लक्ष्मीबाई का निवास स्थान हुआ करता था। अब इस महल को एक संग्रहालय के रूप में तब्दील कर दिया गया है, जहां 9वीं से 12वीं सदी तक के पुरातात्विक अवशेषों को संरक्षित रखा गया है। यह महल खास बुंदेलखंडी शैली में बना है, जिसमें खुले अहाते और मेहराबदार कक्ष हैं। कहा जाता है कि इस महल में रानी लक्ष्मीबाई ने तात्यां टोपे और नाना साहेब के साथ मिलकर अंग्रेजों से लोहा लेने की योजना को अंजाम दिया था। प्राचीन कथाओं के अनुसार जब रानी लक्ष्मीबाई हार गयी थीं तो अंग्रेजों ने इस महल को तबाह करके रानी के 50 अंगरक्षकों को मार डाला था। महल का दरबार हाल आज भी उस वक्त की राजसी शान-ओ-शौकत की बखूबी झलक देता है। यही वजह है कि सैलानियों को यहां जरूर आना चाहिये। 

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