यह कहना गलत न होगा कि उत्तर  भारत में जो अहमियत समोसे और कचौरी की है, वैसा ही दर्जा यहां सिक्किम में थुक्पा को दिया जाता है। शोरबे जैसा यह व्यंजन पूर्वी तिब्बत की देन है, जिसे तिब्बती नूडल्स को सब्जियों या चिकन स्टू में क्लियर सूप के साथ बनाया जाता है। वैसे तो यहां थुक्पा की बहुत सारी किस्में चखने को मिलती हैं, लेकिन ग्याथुक, पठग, ड्रठग और बख्तू को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। बख्तू में गेंहू के आटे से बनी मैकरौनी, जिसे काऊरी कहते हैं, डाली जाती है। और थेंकुक को फ्लैट नूडल्स के साथ बनाया जाता है। गंगटोक में आपको लगभर हर दुकान पर वेजिटेबल थुपका जरूर मिलेगा। यहां थुपका बनाने के लिए सबसे ज्यादा मीट, गाजर, बेलपेपर, पालक, गोभी और सेलेरी का इस्तेमाल किया जाता है। मोनपा समुदाय के लोग थुपका विशेष रूप से पसंद करते हैं और वह पुटंग थुपका नामक एक अन्य थुपका भी बनाते हैं, जिसमें कुट्टू के आटे से बने नूडल्स को मीट या तली हुई मछली, लाल मिर्च, लहसुन और धनिया डालकर बनाया जाता है तथा ऊपर से मसाले और हरे पत्तेदार सब्जियां डाली डाती हैं। गंगटोक में मिलने वाले व्यंजनों में हरी प्याज का इस्तेमाल खासतौर से किया जाता है। यहां सर्दी के मौसम में थुपका विशेषरूप से रोजाना के आहार में शामिल किया जाता है। क्योंकि इसमें डाले जाने वाले मसाले शरीर को लंबे समय तक गर्म रखते हैं और ठंड से बचाव करते हैं। थुक्पा, गंगटोक का सबसे चर्चित स्ट्रीट फूड भी है और आपको हर थोड़ी दूरी पर गरमा गरम और पौष्टिक नूडल्स सूप वाला थुक्पा बेचते हुए बहुत से दुकानदार मिलेंगे।