बोधगया से लगभग 40 किमी दूर चार गुफाओं का एक समूह है, जिनका नाम करण चौपड़, लोमश ऋषि, सुदामा और विश्वकर्मा हैं, जिन्हें बाराबार गुफाओं के रूप में जाना जाता है। एक अखंड ग्रेनाइट चट्टान से उकेरी गईं इन गुफाओं को माना जाता है कि इनका निर्माण सम्राट अशोक ने आजीविक तपस्वियों के उपयोग के लिए करवाया था। सबसे अनोखी गुफा लोमश ऋषि है, जिसका अग्रभाग भिक्षुओं की लकड़ी व छप्पर की कुटियों जैसा है। गुफा के अंदरूनी हिस्से में कांच जैसी असाधारण पॉलिश हुई है। इन बौद्ध गुफाओं में कुछ हिंदू और जैन मूर्तियां भी हैं। नागार्जुन गुफा नाम की एक और गुफा, बाराबार गुफाओं से लगभग 2 किमी दूर है। चूंकि दोनों को एक ही काल की माना जाता है, इसलिए दोनों को एक साथ 'सतघर' कहकर बुलाया जाता है।

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