इस तोप का निर्माण मराठों के आक्रमण से बिष्णुपुर के स्थानीय शासकों की सुरक्षा के लिए किया गया था। यह तोप मां छिन्नमस्ता मंदिर से वापस मुख्य शहर की ओर जाने वाले रास्ते पर रखी है। बिष्णुपुर के ऐतिहासिक आकर्षणों में से एक, इस तोप की लंबाई 3.84 मीटर है और इसकी नली (बैरल) 28.5 सेमी है। इस तोप का निर्माण वर्ष 1742 में मल्ल शासक गोपाल सिंह की निगरानी में, मराठाओं के आक्रमण से बचाव हेतु किया गया था।

लोहे से निर्मित इस तोप पर बारिश, धूप और अन्य जलवायु परिवर्तनों का कोई प्रभाव नहीं प़डता। इस पर जंग भी नहीं लगता। 'दल' शब्द का अर्थ है शत्रु और 'मर्दन' का अर्थ है नष्ट करना। यह तोप मल्ल शासकों की बहादुरी, जोश व हिम्मत का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसे आपको अवश्य देखना चाहिए। इस तोप को वर्ष 1919 में अंग्रेजों द्वारा फिर से खोजा गया।

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