ढोकरा धातु की ढलाई बिष्णुपुर के आदिवासी समुदायों द्वारा प्रचलित सबसे लोकप्रिय कला रूपों में से एक है। जो ढोकरा कलाकृतियाें को उनके मोहक और आकर्षक नमूने अद्वितीय रूप प्रदान करते हैं। कुछ प्रसिद्ध ढोकरा कलाकृतियों में भगवान कृष्ण, देवी दुर्गा और भगवान गणेश जैसे देवताओं की प्रतिमाएं हैं। पर्यटक यहां से ढोकरा कारीगरों द्वारा बनाई गई पशुओं की मूर्तियों, आभूषणों और अन्य उपयोगी वस्तुओं को भी खरीद सकते हैं। यह कला मोम की ढलाई की तकनीक का उपयोग करती है, जो अलौह धातु की ढलाई की सबसे पुरानी तकनीकी है। इन कलाकृतियों को बनाने के लिए, मिट्टी का उपयोग मुख्यतौर पर किया जाता है और इस पर मोम का लेप किया जाता है। इन कलाकृतियों पर मिट्टी के पेस्ट का एक लेप लगाया जाता है और आकार (मॉडल) को कुछ समय के लिए सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है। इसके पश्चात पारंपरिक तरीके से, खोखले सांचे के मोम को पिघले हुआ पीतल से बदल दिया जाता है। बिष्णुपुर के बाजार चूड़ियों, पेंडेंट, कानों की बालियां, पायल, पेन स्टैंड, की-होल्डर और छोटे-छोटे बाक्स जैसी खूबसूरत ढोकरा कलाकृतियों से भरे पड़े हैं।

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