मिदनापुर

 कंगसाबती नदी के तट पर स्थित मिदनापुर और इसके आस-पास के क्षेत्रों में जगह-जगह भव्य महल दिखाई पड़ते हैं। श्यामराय मंदिर के पास स्थित झारग्राम राज पैलेस यहां का एक प्रमुख दर्शनीय स्थल है। हालांकि इसे एक ऐतिहासिक धरोहर वाले होटल का रूप दिया गया है, जिससे इसका प्राचीन आकर्षण बरकरार है। पर्यटक यहां चौहान वंश द्वारा बसाए गए शहर, चंद्रकोना में भी घूम सकते हैं, जहां रामगढ़ और लालगढ़ के राजसी किले स्थित हैं। पर्यटक यहां की जोरा मस्जिद या जुड़वां मस्जिदों में भी जा सकते हैं, जो एक-दूसरे के साथ ही स्थित है। ईद के त्यौहार के दौरान ये मस्जिदें रोशनी से जगमगा उठती हैं और इन्हें फूलों से सजाया जाता है।

 मुख्य शहर से लगभग 10 किमी दूर स्थित पथरा में विष्णु लोकेश्वर की मूर्ति जैसे कई विरासत स्थल हैं, जिन पर हिंदू और बौद्ध दोनों का प्रभाव दिखाई देता हैै।

 मिदनापुर

दलमदल तोप

इस तोप का निर्माण मराठों के आक्रमण से बिष्णुपुर के स्थानीय शासकों की सुरक्षा के लिए किया गया था। यह तोप मां छिन्नमस्ता मंदिर से वापस मुख्य शहर की ओर जाने वाले रास्ते पर रखी है। बिष्णुपुर के ऐतिहासिक आकर्षणों में से एक, इस तोप की लंबाई 3.84 मीटर है और इसकी नली (बैरल) 28.5 सेमी है। इस तोप का निर्माण वर्ष 1742 में मल्ल शासक गोपाल सिंह की निगरानी में, मराठाओं के आक्रमण से बचाव हेतु किया गया था।

लोहे से निर्मित इस तोप पर बारिश, धूप और अन्य जलवायु परिवर्तनों का कोई प्रभाव नहीं प़डता। इस पर जंग भी नहीं लगता। 'दल' शब्द का अर्थ है शत्रु और 'मर्दन' का अर्थ है नष्ट करना। यह तोप मल्ल शासकों की बहादुरी, जोश व हिम्मत का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसे आपको अवश्य देखना चाहिए। इस तोप को वर्ष 1919 में अंग्रेजों द्वारा फिर से खोजा गया।

 दलमदल तोप

आचार्य जोगेशचंद्र पुराकृती भवन

कला और पुरातत्व पर ध्यान केंद्रित करते हुए, इस संग्रहालय के विभिन्न भागों में धातु के गहने, टेराकोटा की मूर्तियां आदि दिखाई देती हैं, जो मध्यपाषाण युग (मेसोलिथिक) और पुरापाषाण युग की हैं। यहां गुप्त और पाल राजाओं के समय के सिक्के और कलाकृतियाें के साथ ही पांडुलिपियों, तस्वीरें, कला और चित्रों का एक दुर्लभ संग्रह भी है। इस संग्रहालय का एक पूरा खंड प्रसिद्ध बिष्णुपुर घराने की संगीत संस्कृति को समर्पित है। यहां प्रदर्शित संगीत वाद्ययंत्र और तस्वीरें उस विरासत को दर्शाती हैं। इसमें समकालीन कला और पेंटिंग, पांडुलिपियां और दुर्लभ तस्वीरें भी रखी गई हैं। पर्यटक शनिवार और रविवार को पुराकृती भवन संग्रहालय के बहुमूल्य खजानों को देख सकते हैं। संग्रहालय की इमारत आकर्षक है और इसकी स्थापत्य शैली अनूठी है।

आचार्य जोगेशचंद्र पुराकृती भवन