उदयपुर से लगभग 110 किमी दूर अरावली रेंज की तलहटी में स्वर्ग सी सुंदर दिखने वाली डूंगरपुर की पहाड़ी है। जो यहां पाए जाने वाले हरे संगमरमर के लिए मशहूर है।
डूंगरपुर माही और सोम के उपजाऊ मैदानों के बीच मोजूद यह काफी हरी-भरी जगह है। यहां दोनो नदियां इसके बीच से गुज़रती हैं, जिसके कारण यहां पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं अच्छी तादाद में पाये जाते हैं। इस शहर का नाम यहां के स्थानीय भील सरदार डुंगरिया के नाम पर है। इसे 1258 में मेवाड़ के तत्कालीन शासक करण सिंह के सबसे बड़े पुत्र रावल वीर सिंह द्वारा स्थापित किया गया था।

यहां का मुख्य आकर्षण 19वीं शताब्दी का उदय बिलास पैलेस है। मुगल और राजपूत की मिली-जुली वास्तुकला के साथ, यह महल, जो अब एक होटल है, स्थानीय हरे ग्रेनाइट से बनाया गया है और नक्काशीदार बालकनियों, मेहराबों और खिड़कियों से सजा हुआ है।
यहां का एक और लोकप्रिय आकर्षण है जूना महल, जो 13वीं शताब्दी में पीले पत्थर से बनी एक सात मंजिला संरचना है। ये महल फ्रैस्को, म्युराल्स, स्थानीय हरे पत्थरों और आईनों से सजा हुआ है। डूंगरपुर का सरकारी पुरातत्व संग्रहालय (आर्कियोलाजिकल म्युजियम) काफी मशहूर है और यहां 6वीं शताब्दी की विभिन्न देवताओं की मूर्तियां, पत्थर के शिलालेख, सिक्के और पेंटिंग्स हैं। इसे वर्ष 1959 में खोला गया था और यहां वागड़ क्षेत्र से खुदाई की गई वस्तुओं का संग्रह है। इनके अलावा, महल के साथ-साथ गैब सागर झील भी एक लोकप्रिय जगह है।

अन्य आकर्षण