राजकोट शहर से लगभग 90 किमी दूर स्थित जामनगर एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यह शहर अपनी वैभवशाली इमारतों, प्राचीन समुद्र तटों और सुरम्य झीलों के लिए जाना जाता है। कच्छ की खाड़ी के तट पर स्थित, यह भारत के पश्चिमी क्षेत्र के सबसे बड़े शहरों में से एक है। यह प्राकृतिक खज़ानों से भरा हुआ है और दुनिया की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरियों में से एक इसके तटीय क्षेत्र पर मौजूद है।यह शहर विरासती स्मारकों से पटा पड़ा है, लेकिन इनमें भी लाखोटा किले की बात ही कुछ और है। तत्कालीन जामनगर शासकों का यह केंद्र सुंदर रणमल झील से घिरा हुआ है। झील से पैदल दूरी पर कोठा दुर्ग है जो कभी शाही हथियारों का भंडार था। शहर के मध्‍य में गोलाकार दरबार गढ़ है, जहां पर शासक आम जनता से मुलाकात करते और उनकी शिकायतों का समाधान किया करते थे। थोड़ी दूर पर, जामनगर के हलचल से भरे व्‍यस्‍त बाज़ार हैं जो अपने कलात्‍मक बांधणी काम और पीतल के बर्तनों के लिए प्रसिद्ध हैं। इस क्षेत्र में, शांतिनाथ और आदिनाथ नामक दो जैन मंदिर भी हैं। वे इसलिए शानदार दिखते हैं क्योंकि वे सोने की पत्तियों, शीशे, भित्ति चित्रों, मोज़ाइक आदि से सुसज्जित हैं।

पक्षीअध्‍येताओं के लिए भी यहां कुछ तो है क्योंकि यह क्षेत्र खिजडिया पक्षी अभयारण्य का केंद्र है, जिसमें विभिन्न प्रजातियां जैसे कि काले डैनों वाली चील, महान थिक-नी, सामान्‍य ग्रीनशैंक, ग्रे फ्रेंकोलिन, ब्राह्मिणी चील आदि हैं। इसके अलावा, देश के पहले समुद्री पार्क - प्रसिद्ध मॅरीन नैश्‍नल पार्क - की यात्रा भी की जा सकती है। यह भारत की एकमात्र ऐसी जगह है जहां पानी में गोता लगाए बिना मूंगा चट्टानें देखी जा सकती हैं। साथ ही, डॉल्फिनों और विभिन्न प्रवासी पक्षियों को भी देखा जा सकता है। पहले, जामनगर को मोती शहर कहा जाता था क्योंकि यह मोती निकालने (पर्ल फिशिंग) का केंद्र था।

भगवान कृष्ण का वंशज माने जाने वाले श्री जाम रावल द्वारा नागमती और रंगमती नदियों के तट पर इसकी स्थापना के समय से ही यह शहर प्रमुखता से उभरा। प्रसिद्ध क्रिकेटर के एस रंजीत सिंहजी के शासनकाल के दौरान यहां पर बहुत से विकास कार्य हुए। प्रसिद्ध वास्तुकार एडवर्ड लुटियन्‍स के साथ, रंजीत सिंहजी ने यूरोपीय शैली में इस शहर का पुनर्निर्माण किया। उनके संरक्षण में, प्रताप विलास पैलेस, सोलॅरियम, विलिंगडन क्रिसेंट जैसे शहर के अविस्‍मरणीय स्‍थल और कई उद्यान और झीलें बनी थीं। किंवदंती है कि भगवान कृष्ण जब मथुरा से बाहर निकले तब उनका निवास जामनगर था।

अन्य आकर्षण