सौराष्ट्र के शुष्क क्षेत्रों के बीच स्थित 654 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला, हिंगोलगढ़ प्रकृति शिक्षा अभयारण्य का एक हरा-भरा क्षेत्र है। पेड़ों और झाड़ियों के बीच ऊंची-ऊंची घास यहां बहुतायत में है, जिसके चलते यह जगह सरीसृपों और भारतीय साही, लोमड़ी, उड़ने वाली लोमड़ी, चिंकारा आदि जैसे अन्‍य जानवरों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बन जाती है। परिसर में 230 से अधिक प्रकार के पक्षी और 19 विभिन्न प्रकार के सांप देखे जा सकते हैं। यहां की यात्रा करने का आदर्श समय मानसून की शुरुआत से लेकर सर्दियों की शुरुआत तक है। इस अभयारण्य में मिट्टी के लक्षणों, पहाड़ी ढलानों, जल प्रवाह इत्यादि के बारे में अध्ययन किया जा सकता है।

सन 1980 में इसे एक अभयारण्य के रूप में घोषित किया गया था, और 1984 में इसे एक शैक्षिक केंद्र के रूप में मान्यता मिली तथा इसका प्रशासन गुजरात पारिस्थितिक शिक्षा और अनुसंधान फाउंडेशन (GEER) द्वारा किया जाता है।

अन्य आकर्षण