12वीं और 13वीं शताब्दी में सौराष्ट्र पर सैन्ध्या और जेठवा राजवंश का शासन था। उस दौरान घुमली वहां की समृद्ध राजधानी हुआ करता था जो कि आज पोरबन्दर से बाहर निकलते ही वर्धा हिल्स की गोद में बसा है। पर्यटकों के बीच यह गांव यहां स्थित भव्य नवलखा मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जिसे सोलंकी राजवंश के राजाओं ने 940-1244 सदी के बीच बनवाया गया था। भगवान सूर्य को समर्पित यह मंदिर गुजरात के सबसे प्राचीनतम और विशालतम मंदिरों में से एक है। मंदिर की भव्यता की झलक इसके नाम में दिखाई देती है। ऐसा भी कहा जाता है कि इसके निर्माण में करीब नौ लाख रूपये का खर्च आया था। पुरातत्व विशेषज्ञों के लिए घुमली, शोध का एक महत्वपूर्ण केन्द्र भी है। इसके अलावा गुजरात में पाये जाने वाले कुछ सबसे विशालतम सीढ़ीनुमा कुंए भी यहीं  पाये जाते हैं, जिन्हें विकियावव भी कहा जाता है। पर्यटकों के बीच यह जगह ट्रैकिंग के लिए खासी पसंद की जाती है। क्योंकि यहां आने वाले सैलानी वर्धा हिल्स वन्य जीव अभयारण्य में ट्रैकिंग करते हुए रोमांचित हो उठते हैं। इस अभयारण्य में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों, जंगली पक्षी, स्तनधारी जीव तथा सरीसपृ बहुतायात में देखे जाते हैं। 

अन्य आकर्षण