मधुमक्खी के छत्ते के समान बनी यह शानदार इमारतए पटना के बीचो बीच स्थित गांधी मैदान के निकट है। गोल आकार में बनी यह इमारत अपने नाम श्गोलघरश् का एकदम सटीक पर्याय है। आश्चर्यजनक ढंग से इस भव्य इमारत को भीतर से सहारा देने के लिए किसी भी स्तम्भ को नहीं बनाया गया है। यह इमारत अपने आधार में 3ण्6 मीटर चौड़ी है। गोलघर की ऊंचाई 29 मीटर है। यह एक हैरान कर देने वाली विचित्र वस्तुकला है जो देखने लायक है।

 

वर्ष 1770 में इस क्षेत्र में भयंकर अकाल पड़ने के बाद इस इमारत का निर्माण ब्रिटिश सेना के कप्तान जॉन गरस्टिन ने करवाया था। इसे सैनिकों के लिए विशाल अन्नागार के रूप में बनवाया गया था। इस अन्नागार में 13ए000 टन से अधिक अनाज रखा जा सकता थाए जो एक समय में कई हजार लोगों के लिए अनाज की आपूर्ति कर सकता था। इस इमारत में अनाज भरने के लिए बाहरी दीवार पर एक सीढ़ी बनाई गई हैए जिसका उपयोग मजदूरों द्वारा अनाज के बोरों को भवन के शीर्ष तक ले जाने के लिए होता था। यहां इमारत के शीर्ष पर एक छेद हैए जहां से अनाज के बोरे खाली कर दिए जाते थे।

आज गोलघर की सीढ़ियों पर चढ़कर पर्यटक और शहरवासी वहां से शहर के मनोरम दृश्य और गंगा नदी का आनंद लेते हैं।

दिलचस्प बात यह है कि गोलघर को कभी उसकी अधिकतम क्षमता तक नहीं भरा गया। कहा जाता है कि इस अन्नागार के दरवाजे अंदर की तरफ खुलते थेए जिस कारण इसे कभी भी इसकी अधिक क्षमता तक भरा न जा सका। यहां के हरे भरे बगीचे परिवार के साथ पिकनिक मनाने की उत्तम जगह हैए जहां आप इस ऐतिहासिक स्मारक का भी लुत्फ उठा सकते हैं। आज इस इमारत का नवीनीकरण हो रहा हैए ताकि इस इमारत की भव्यता बरकरार रहे।

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