रास की खीर

एक विशिष्ट बुंदेलखंडी मिठाई, रस की खीर स्थानीय महुआ फूल के अर्क को दूध और बाजरा के साथ मिलाकर तैयार की जाती है। इस व्यंजन में चीनी नहीं डाली जाती है क्योंकि इसमें खुद की मिठास होती है।

रास की खीर

बुंदेली गोश्त

बुंदेली शाही रसोई की यह एक और खासियत है। इस व्यंजन में उबले हुए छोले और मसालों के साथ भेड़े का मांस खाया जाता है। इस क्षेत्र के अधिकांश व्यंजनों की तरह, मिट्टी के बर्तन में पकाने पर इसका  स्वाद ही और कुछ हो जाता है। यह व्यंजन मध्य प्रदेश की मूल जनजातियों, ओरछा, झांसी और दतिया से प्रेरित है। आदिवासी भोजन अपनी पारंपरिक शैली की तैयारी के लिए जाना जाता है। आरंभ में इस मांस को तीखे मसालों के साथ पकाया जाता था। 

बुंदेली गोश्त

बुंदेलखंड कबाब

बुंदेलखंड अपने रसीले और रसदार कबाब के लिए प्रसिद्ध है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह बुंदेलखंड राजवंश के शाही रसोई घरों में ही बनना शुरू हुआ था। ये कबाब स्थानीय लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं और आमतौर पर चावल या मक्के की रोटियों के साथ परोसा जाता है। मुंह में जाते ही घुल जाने वाले ये कबाब और वेजिटेबल ग्रिल्ड कबाब सीख, उनके शाकाहारी व्यंजन, ओरछा व्यंजनों का मुख्य आकर्षण हैं। बुंदेलखंडी भोजन बनाने के लिए मिट्टी के बर्तन का बड़े पैमाने पर उपयोग करते हैं और इन्हें लकड़ी के चूल्हे पर रख कर पकाया जाता है, जिससे यह धुंए का एक अनूठा का स्वाद देता है।

बुंदेलखंड कबाब

कोड़ु तिल कै भट

यह एक स्थानीय व्यंजन है, जिसमें चावल को काले तिल के साथ पकाया जाता है। इस क्षेत्र में व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले दो प्रकार के चावल हैं कोडु और कुडकी।

कोड़ु तिल कै भट

कुंडे का भट्टा

कुंडे का भुट्टा इस क्षेत्र का एक पारंपरिक जनजातीय व्यंजन है जिसे बैंगन के भरते के एक मसालेदार रूप में वर्णित किया जा सकता है।

कुंडे का भट्टा