मथुरा के बाहरी इलाके में स्थित, गोवर्धन या गिरिराज जी एक पवित्र स्थल है। इसे भगवान कृष्ण का प्राकृतिक रूप माना जाता है। लोग भगवान कृष्ण का अभिनन्दन, इसकी प्रदक्षिणा करके करते हैं, या गोवर्धन पूजा या गिरिराज मंदिर में अन्नकूट के पर्व के दिन, लोग गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करके करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि वृंदावन के छह गोस्वामी, साथ ही अन्य व्यक्तित्वों ने जैसे कि माधवेंद्र पुरी, अद्वैत आचार्य, भगवान नित्यानंद, वल्लभाचार्य, नरोत्तम दास ठाकुर, और श्रीनिवास आचार्य आदि सभी ने कभी गोवर्धन परिक्रमा की थी। यहां तीन प्रकार से परिक्रमा की जाती है, जिसमें एक है नंगे पैर वाली परिक्रमा, दूसरी दूध परिक्रमा, जिसमें भक्त एक दूध से भरे बर्तन को, जिसमें एक छोटा सा छेद होता है, साथ ले कर जाते हैं, और तीसरी है, दंडवत परिक्रमा, जिसमें भक्तगण भगवान को प्रसन्न करने के लिए जमीन पर लेट कर शाश्टांग दंडवत करते हुए परिक्रमा करते हैं। दंडवत परिक्रमा को पूरा करने में कुछ सप्ताहों से लेकर महीनों तक का समय लग जाता है। कुछ साधु तो एक स्थान पर खड़े होकर 108 डंडवत करते हैं, फिर वह अपना एक अगला कदम बढ़ाते हैं। संपूर्ण परिक्रमा लगभग 23 किमी लंबी है, जिसे साल भर में 5 लाख से अधिक भक्त पूरा करते हैं। लोग ब्रज में जमा होते हैं, जहां गोवर्धन पर्वत स्थित है, खासकर गुरु पूर्णिमा, पुरुषोत्तममासा या गोवर्धन पूजा जैसे शुभ अवसरों पर।

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