आलू पूरी

उत्तर भारत के व्यंजनों में पूरी काफी लोकप्रिय है, जिसे गेहूं के आटे से तैयार किये गये गोल लोइयों को बेलन से पतला बेलकर, तेल में डुबा कर तला जाता है। साथ में परोसे जाने वाली आलू की कढ़ी काफी पतली होती है, जिसे करी पत्ते, सरसों, सूखे आम पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, हल्दी, धनिया पत्ती और टमाटर की ग्रेवी के साथ पकाया जाता है, और कभी-कभी इसके स्वाद को बढ़ाने के लिए इसे मसालेदार बनाया जाता है।

आलू पूरी

जलेबी

इस मीठे पकवान को मैदे, दही, चीनी, दूध पाउडर और केसर से बनाया जाता है, और फिर इसे घी में गहरे तला जाता है। इसके कुरकुरेपन का मज़ा लेने के लिए इसे गर्मागर्म ही खाया जाता है। यहां पर यह लोगों का बेहद ही पसंदीदा नाश्ता है, जिसे आमतौर पर चाय के साथ लिया जाता है। मथुरा में एक खास व्यंजन "आलू की जलेबी" होती है जो गोवर्धन की परिक्रमा करने वालों के बीच बेहद लोकप्रिय है। जलेबी का इस विशेष संस्करण में आलू का स्वाद रहता है जो थके मांदे भक्तों को ऊर्जा देने के लिए यह एकदम सही व्यंजन है।

जलेबी

लस्सी

दही और दूध के साथ तैयार किये गये इस पेय को चीनी, केसर और इलायची पाउडर के साथ बनाया जाता है, और इसे ठंडा करने के लिए उस में बर्फ के टुकड़े भी डाले जाते हैं। लस्सी में बादाम और पिस्ता के कतरनों को भी डाला जाता है, जिसे उत्तरी भारत में बेहद पसंद किया जाता है। लस्सी आमतौर पर दो स्वादों में उपलब्ध होती है-मीठी और नमकीन। दोनों स्वादिष्ट होती हैं और शरीर को ठंडा रखने में मदद करती हैं।

लस्सी

समोसा-कचौड़ी

मथुरा में, नाश्ता सिर्फ दिन का पहला भोजन नहीं होता, बल्कि यह वह समय जब परिवार के सदस्य एक दूसरे के साथ वक्त बिताते हैं, दोस्तों के बीच कहानियां सुनाई जाती है, और एक गर्म कप चाय के साथ दिन की तैयारी की जाती है। और हां, चाय असली मज़ा तो तब आता है जब यह गर्म समोसे और स्वादिष्ट कचौरी के साथ हो। ये दोनो रास्ते पर मिलने वाले नाश्ते, कचौरी हो या समोसा, इनको आंटे की लोई में मसालेदार आलू भरकर तैयार किया जाता है और फिर इन्हें गहरे तेल में तला जाता है। खास्ते व्यंजनों की श्रेणी में आने वाले समोसे का आकार त्रिकोणीय होता है जब कि कचौरी का गोल। इन्हें मसालेदार पुदीना या मीठी और खट्टी इमली की चटनी के साथ परोसा जाता है। मथुरा में, ये नाश्ते पूरे शहर में छोटी छोटी दुकानों से लेकर बड़े रेस्तरां तक में उपलब्ध होती हैं।

समोसा-कचौड़ी

खमन ढोकला

गुजरात का प्रसिद्ध व्यंजन मथुरा में भी चखने को मिलता है। इस व्यंजन को बेसन, सूजी, नींबू का रस, हरी मिर्च-अदरक का पेस्ट, और दही से बनाया जाता है। पुदीना और इमली की चटनी के साथ परोसा जाने वाला खमन ढोकला, नाश्ते के रूप में खाया जाता है। यह पचाने के लिए काफी हल्का होता है और इसके स्वाद में लाजवाब तीखापन होता है।

खमन ढोकला

पेड़ा

मथुरा की पारंपरिक मिठाई, पेड़ा, पूरे देश की एक पसंदीदा मिठाई है। इसे त्योहारों, शादियों और अन्य महत्वपूर्ण समारोहों के दौरान बड़े पैमाने पर परोसा जाता है, यह भगवान कृष्ण का एक प्रसाद है। जन्माष्टमी पर, सैकड़ों किलो का पेड़ा बनाया जाता है। इसे बनाने में गाढ़ा दूध, इलायची पाउडर और खोआ का उपयोग होता है। ताजा मावा, दूध, चीनी और घी को साथ में पकाकर एक मलाईदार रेशमी मिठाई बनती है, जो मुंह में जाते ही पिघल जाती है। यह दिखने बेहद छोटी होने के बावजूद बड़ी लज्ज्तदार होती है। इसके दूसरे संस्करण केसरिया पेड़ा को बनाने के लिए केसर का उपयोग किया जाता है। यह बेहद ही समृद्ध और स्वादिष्ट मिठाई है, और त्योहारों के उत्सवों के दौरान भक्तों और मेहमानों के बीच काफी मात्रा में बांटी जाती है।
पर्यटक आमतौर पर अपने प्रियजनों के लिए पेड़े से भरे डिब्बे ले जाते हैं। यह यात्रा के दौरान न टूटते हैं और न खराब होते हैं। इसे कुछ दिनों के बाद भी खाया जा सकता है।

पेड़ा

खुरचन

यह एक मिठाई है, जिसे उबलते दूध से तैयार किया जाता है। जब दूध को धीरे-धीरे उबाल कर गाढ़ा किया जाता है, तो इसकी छाली बर्तन की सतहों पर चिपक जाती है। जो तह बर्तन के किनारे और नीचे की सतह पर चिपक जाती है, उसे खुरेच कर निकाल लिया जाता है। इसमें फिर सूजी (रवा), गुलाब जल और चीनी के भूरे में मिलाया जाता है। बाद में, इसे सूखे मेवों और केसर के कतरन साथ सजाया जाता है। यह खुरचन, मीठे और नमकीन, दोनों स्वादों में उपलब्ध होते हैं।

खुरचन