देश के सबसे बड़े मंदिर परिसरों में से एक गिना जाने वाला श्री मीनाक्षी-सुंदरेश्वर मंदिर मदुरै का सबसे प्रसिद्ध आध्यात्मिक तीर्थसम स्थान है। मन को मोह लेने वाली द्रविड़ वास्तुकला का बेजोड़ उत्कृष्ट उदाहरण माना यह मंदिर एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है। साथ ही बहुत क़ायदे के रखरखाव से प्रबंधित किए गए बागानों और प्राचीन फव्वारों से आच्छादित यह मंदिर बरबस ही आपका हृदय आकर्षित कर लेता है। दरअसल इस पूरे मंदिर परिसर में दो श्रद्धास्थल स्थित हैं। और इन दो मंदिरों को ख़ास बनाते हैं इनके 10 से अधिक द्वार (जिन्हें यहाँ गोपुरम कहा जाता है), इनके विस्तार में व्याप्त कई मंडप और साथ ही एक ताल। पूरा परिसर अंदर और बाहर दोनों तरफ़ सुंदर नक्काशी से सुशोभित है, जिसे अनदेखा कर पाना आपके लिए मुमकिन बिलकुल नहीं होगा। 

एक अजूबा जो आप यहाँ देखेंगे, वह है इस मंदिर का एक विशिष्ट मंडप जिसे "1,000 खंभों का हॉल" के नाम से जाना जाता है, हालाँकि सच यह है कि उन 1000 खंभों में से अब केवल 985 ही मौजूद हैं। इस हॉल की सबसे मज़ेदार बात यह कही जाती है कि जिस भी दिशा से आप इसके खंभों को देखते हैं, वे सब हमेशा एक सीधी रेखा में खड़े हुए से महसूस होते हैं। यहाँ भ्रमण करते समय जब आपके बाहरी गलियारे से गुजरेंगे तो एक और अजूबे से परिचित होंगे, क्योंकि इसके खंभे संगीत के सुरों से सजे बताए जाते हैं। जब आप इन्हें थपथपाएंगे, तो यह खंभों से संगीत के अलग-अलग सुरों का मधुर सृजन होता सा प्रतीत होता है। इस मंदिर का सुंदरेश्वर के नाम से प्रख्यात प्रभाग भगवान शिव को समर्पित है, जबकि दूसरा प्रभाग उनकी पत्नी पार्वती जी जिन्हें यहाँ ‘मीनाक्षी’ के नाम से भी जाना जाता है, को समर्पित है।

लेकिन यदि आप इस समूचे मंदिर परिसर के सबसे अच्छे हिस्सों की बात करें, तो निस्संदेह उनमें से एक यहाँ का अष्ट शक्ति मंडप है, जो एक गोलार्ध आकृति में बना हुआ व अत्यधिक सौन्दर्यपूर्ण छत से सुसज्जित बड़ा सा हॉल है। उभरी हुई अद्भुत कलाकृतियों से सजे हुए इस मंडप को भगवान शिव के एक स्थानीय नाम भगवान सोमसुंदर और मीनाक्षी देवी के दैवीय विवाह को समर्पित किया गया था। आपको यहाँ के एक और विशेषता काफी चकित करेगी, जिसे मीनाक्षी नायक्कर मंडपम कहा जाता है। 110 पत्थर के खंभों से बना यह मंडप हाथी के सिर और शेर के शरीर को चित्रित करती एक कमाल की नक्काशी से सुशोभित है और आपका ध्यान खींचने में सफल रहता है। इसके बाद आप यहाँ के पोटरामारुकुलम या गोल्डन लोटस टैंक नामक सरोवर की ओर भी जा सकते हैं। यह एक प्राचीन जलप्रपात है जिस में श्रद्धालु पवित्र स्नान किया करते हैं। इस सरोवर के चारों ओर चित्रा मंडप नामक गलियारे अवस्थित हैं, जिनमें देवी-देवताओं की दिव्य क्रीड़ाओं का मनोरम चित्रण करती मूर्तियां बनी हुई हैं। हर साल अप्रैल और मई के महीनों के दौरान ‘मीनाक्षी थिरुकल्याणम’ या ‘देवी मीनाक्षी का दिव्य विवाह’ नाम से इस मंदिर में यहाँ का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार बड़े धूमधाम से आयोजित किया जाता है, जिसके दौरान यहाँ की रौनक वास्तव में देखने योग्य होती है।

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