तमिलनाडु में वास्तुकला और पाककला की चेट्टीनाड शैली के महत्त्व के बारे में जितना कहा जाए उतना कम है। और काणादुकथन नामक यह छोटा सा लेकिन सच्चे अर्थों में विलक्षण शहर अपनी अद्भुत चेट्टीनाड वास्तुकला के अनुरूप बने आलीशान घरों और प्रामाणिक चेट्टीनाड व्यंजनों की पाककला में परिलक्षित होती विशिष्ट चेट्टीनाड शैली के लिए कितना प्रसिद्ध है, इसे सही मायनों में तो आप यहाँ जाकर ही महसूस कर पाएँगे। 

20 वीं शताब्दी के शुरुआती दिनों में स्थानीय धनी व्यापारी परिवारों द्वारा निर्मित यहाँ की विशाल चेट्टीनाड हवेलियों में सबसे ख़ास चीज़ जो आप देखेंगे, वह है उनके उम्दा नक्काशी से सजे हुए भव्य दरवाज़े, जो बरबस ही आपको दक्षिण भारत के हिंदू मंदिरों के प्रवेश द्वारों की याद दिलाएँगे। इन में भी सर्वाधिक आकर्षक इमारत 115 साल पुराना चेट्टीनाड महल है, जो आगंतुकों को अपनी भव्य वास्तुकला और राजसी अंदरूनी सजावट से सम्मोहित कर लेता है। आप इस महल में जो सजावटी सामान और फर्नीचर देखेंगे, वह पूर्वी एशिया और यूरोप से लाए गए थे; जबकि महल में इस्तेमाल किया गया संगमरमर इटली से आयात किया गया था। इतना ही नहीं, जहाँ एक तरफ़ इस महल में लकड़ी का उत्कृष्ट काम ख़ास म्यांमार से लाई गई सागौन की लकड़ी पर किया गया था, तो वहीं इसमें जो नाज़ुक और खूबसूरत क्रॉकरी आपकी नज़रों को अपने मोहपाश में बाँध लेगी, आप हैरान होंगे जान कर कि वह विशेष रूप से इंडोनेशिया से लाई गई थी। 

आप स्वाद के शौक़ीन हैं तो आपके लिए अच्छी ख़बर यह है कि काणादुकथन अपने स्थानीय व्यंजनों के लिए भी बेहद प्रसिद्ध है, जो कि कई जड़ी-बूटियों और मसालों का उपयोग करते हुए विशिष्ट चेटिनाड शैली में तैयार किए जाते हैं। आसपास के इलाकों के स्वाद रसिक लोग चेट्टीनाड चिकन, मछली, केकड़ा, झींगा मछली, झींगा और मेमने से बने लज़ीज़ व्यंजनों का लुत्फ़ उठाने के लिए इस अमूमन इस शहर का रुख़ किया करते हैं। 

यहाँ बने हुए चेट्टीनाड मंदिर भारत के देवस्थलों में एक अद्वितीय स्थान रखते हैं, क्योंकि ये भव्य दैवीय भवन पूर्णतया वास्तुशास्त्रों और आगम शास्त्रों के मानदंडों के अनुसार निर्मित हैं। तत्कालीन धनी सज्जनों द्वारा बनाए गए इन मंदिरों की बेहतरीन नक्काशी और डिजाइन आपको प्रभावित हुए बिना नहीं रहने देते हैं। वहीं यह जानना भी दिलचस्प है कि आलीशान स्तंभ और परिसर के भीतर स्थित पवित्र सरोवर, इन सभी मंदिरों की सर्वाधिक आकर्षक विशेषताएँ हैं। इन मंदिरों में से सबसे प्रसिद्ध मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर है।

यदि कला और शिल्प में रुचि रखते हों, तो आप देश भर में प्रसिद्ध चेट्टीनाड की उत्कृष्ट कलाओं और शिल्पों का भी अवलोकन कर सकते हैं। यहाँ कला व शिल्प उत्पादों की एक लंबी फ़ेहरिस्त आपको मिलेगी, जिन में चाँदी के अलंकरण, काष्ठ शिल्प, बुनी हुई साड़ियों से लेकर सोने के ज़ेवरात, ताड़ पत्र की टोकरियाँ, हाथ से बनी टाइलें, अंडे के पलस्तर से बनी सजावटी वस्तुएँ तक शामिल हैं। इतना ही नहीं, कपड़ों की ख़रीदारी का शौक़ पूरा करने के लिए आप मदुरै से लगभग 90 किलोमीटर दूर स्थित इस कनाडुकथान शहर से अपने चटख रंग संयोजन, धारियों और चौखानों से सजे रूप के लिए मशहूर सुंदर चेट्टीनाड साड़ियों की ख़रीदारी भी कर सकते हैं।  

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