यदि आपकी रुचि मनोरम वास्तुकला और नक्काशीदार मूर्तिकला से सुसज्जित मंदिरों को देखने में है, तो यहाँ के बेहद मशहूर अजहर कोइल मंदिर में अवश्य जाना चाहिए, जो इस क्षेत्र के सबसे आकर्षक मंदिरों में से एक है तथा अलगर पहाड़ियों की तलहटी में व्याप्त हरे-भरे वातावरण के मध्य स्थित है। भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर अपना एक अलग ही धार्मिक महत्व रखता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत काल के दौरान, इस मंदिर में दो पांडव भाइयों, युधिष्ठिर और अर्जुन ने आकर पूजा-अर्चना की थी। 

इसे मंदिर से जुड़ी एक और लोकप्रिय कहानी संत रामाजुन के एक शिष्य की है जिन्होंने इस मंदिर परिसर में आकर अपनी खोई हुई दृष्टि को फिर से प्राप्त कर लिया था। भगवान विष्णु अथवा तिरुमल को इस इलाक़े में उनके स्थानीय नाम अलगर के नाम से भी जाना जाता है, और यहाँ की अलगर पहाड़ियों का नाम भी उन्हीं  के नाम पर रखा गया है। जब आप मंदिर के आसपास के खंडहरों का अवलोकन करेंगे, तो स्वयं महसूस करेंगे कि कभी इस मंदिर के चारों ओर एक प्राचीन शहर मौजूद था। 

अज़गर कोइल मंदिर की यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा समय अप्रैल और मई के महीनों के दौरान होता है जब देश के कोने-कोने से श्रद्धालु भक्त यहाँ आयोजित होने वाले वार्षिक चिथिरई महोत्सव में भाग लेने के लिए इस मंदिर में एकत्र होते हैं।

अन्य आकर्षण