यदि आप थेनमाला जा रहे हैं, तो बोट राइड से शेंडुर्नी वन्यजीव अभ्यारण्य घूमना आपकी प्रमुख सूची में होना चाहिए। इसमें हाथी, बाघ,  गवल, चीता, अफ्रीकी लंगूर, नीलगिरि लंगूर, सांभर, जंगली सुअर और अन्य वन्यजीवों की कई प्रजातियां मौजूद हैं। यह अभ्यारण्य कोल्लम से 66 किमी की दूरी पर है। अभ्यारण्य में कई चीजों को देखने का सबसे अच्छा तरीका जंगल सफारी है। आप अभ्यारण्य में निर्धारित पथ के साथ-साथ ट्रेकिंग और जलाशय के नजदीक कैंपिंग कर सकते है। आप कुरुमथोट्टी टॉप हट पर भी जा सकते हैं, जहां से आप अभ्यारण्य को आसानी से देख सकते हैं। यहां पर रात गुजारना एक रोमांचकारी अनुभव हो सकता है क्योंकि कोई भी यहां रात में रात्रिकालीन ध्वनि का लुत्फ उठा सकता है।  

कुलाथुप्ज़ा, कज़ूथुरुट्टी और शेंडुर्नी नदियों पर बने पाराप्पार बांध द्वारा निर्मित कृत्रिम झील भी पर्यटक के लिए अच्छा स्थल है क्योंकि यहां कोई भी प्रकृति के व्यापक और मनोहर दृश्य देख सकता है। जंगल में मध्यभाषाण युग की एक गुफा का पता चलने के बाद हाल के समय में अभ्यारण्य का पुरातात्विक महत्व बढ़ा है। यह अभ्यारण्य 172 वर्ग किमी में फैला हुआ है। शेंडुर्नी के जंगल को 1984 में वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित किया गया था। 

शेंडुर्नी भारत में सबसे पुरानी नदी घाटी सभ्यता का उद्गम है - यह सभ्यता सिंधु घाटी से भी पुरानी है, इसका काल 4400 - 3700 ईसा पूर्व माना जाता है। मध्य भारत में मध्यपाषाण युग (5210 - 4420 ईसा पूर्व) के समान मध्य भारत की गुफाओं जैसी चित्रकला गुफा की खुदाई करने पर पाई गई है। इस गुफा में 20 लोग रह सकते हैं। यह गुफा शेंडुर्नी नदी के उत्तर-पश्चिमी हिस्से पर स्थित है।

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