कौसानी के चाय के बागान

समुद्रतल से करीब 1200 से 1800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कौसानी चाय के बागान देखने में इतने मनमोहक लगते हैं कि आप इस जगह में कहीं खो से जाते हैं। करीब 208 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैले यह विशाल चाय के बागान 21 खंडों में विभाजित हैं। यहां आपको शानदार खुशबू वाली आर्गेनिक चाय मिलेगी, जिसकी देश-विदेश में बहुत मांग है। प्रसिद्ध एवं दुर्लभ गिरिहा चाय की पट्टी का उत्पादन यहीं होता है। पर्यटक चाहें तो इस फैक्ट्री में जाकर चाय की पट्टी  बनाने की प्रक्रिया देखने का लुत्फ उठा सकते हैं, जिसके लिए यहां बाकायदा इंतजाम किया गया है। चाय के इन बागानों के चारों और बड़ी संख्या में यात्रियों के ठहरने आदि के लिए कई प्रसिद्र होटल हैं। इसका अर्थ यह है कि आस-पास के होटलों में रुकने वाले पर्यटक आसानी से पैदल ही इन चाय के बागानों तक पहुंच सकते हैं। इसके अलावा कौसानी से सिर्फ 5 किमी. लंबे ट्रैक से बागेश्वर रोड होते हुए भी इन बागानों तक पहुंचा जा सकता है। 

कौसानी के चाय के बागान

पिन्नाथ ट्रैक

कौसानी के बाहरी छोर पर स्थित पिन्नाथ, देखने में तो एक बड़ा शांत गांव है लेकिन गौर से देखेंगे तो पाएंगे कि यहां रोमांच का खजाना भरा हुआ है। पिन्नाथ, की तरफ ट्रैकिंग करना अपने आप में एक ऐसा अनुभव जो आपके तमाम शहरी तनाव को भुला देगा। क्योंकि यहां की प्रकृति के नजारे बिलकुल अनछुए जंगलों जैसी है, जिसमें सिर्फ पास ही बहती कोसी नदी के कल कल करते पानी की आवाज सुनाई देती है। यहां एक अन्य दिलचस्प दर्शनीय स्थल भैरव मंदिर है, जिसकी दीवारों और दरवाजों पर स्थानीय राजाओं और पांडवों के खूबसूरत चित्र बने हुए हैं। गोपालकोट पहाड़ियों में बना यह मंदिर देखने में किसी बेहद सुंदर चित्रकारी की तरह लगता है। यहां से कोसी घाटी का दृश्य भी बहुत दिलचस्प दिखाई पड़ता है। 

हर साल यहां अक्तूबर के महीने में एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें भाग लेने के लिए आस-पास के गावों के लोग भारी संख्या में आते हैं। इस मेले में भाग लेना भी अपने आप में एक अनूठा अनुभव है। 

पिन्नाथ ट्रैक

रुद्रधारी झरना और गुफाएं

ऐसा माना जाता है कि इस स्थान को अपना नाम भगवान शिव के एक अन्य नाम रुद्र और भगवान विष्णु के एक अन्य नाम हरि से मिला है। रुद्रधारी झरना देवदार के विशाल वृक्षों और घास के हरे भरे मैदानों से घिरा हुआ है। यहां का अप्रतिम प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर खींचता है। इसलिए भारी संख्या में लोग यहां पिकनिक मनाने के लिए अपने पूरे परिवार के संग आते हैं। इतना ही नहीं रोमांच प्रेमी पर्यटक रुद्रधारी गुफाओं में ट्रैकिंग के लिए भी जाते हैं, जो अपने आप में जिंदगीभर याद रखने वाला अनुभव है। आदि कैलाश की तरफ जाते हुए सैलानियों को अन्य बहुत सी प्राचीन गुफाएं मिल जाएंगी। यहां आने वाले पर्यटकों को यहां स्थित भगवान शिव और भगवान विष्णु के मंदिर अवश्य जाना चाहिये। सोमेश्वर के नाम से प्रसिद्ध भगवान शिव का मंदिर इस झरने से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है। यहां आने वाले सैलानी आमतौर पर कंटाली गांव तक जाते हैं, जो कि यहां से महज 3 किमी की दूरी पर है। इसके बाद रुद्रधानी झरने तक जाने के लिए ट्रैकिंग करनी पड़ती है। यह झरना कौसानी से 12 किमी दूर, कौसानी-अल्मोड़ा रोड पर स्थित है, जहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। 

रुद्रधारी झरना और गुफाएं