हिमालय की गोद में बसा और बर्फ की चादर से ढका कौसानी, प्रकृति की किसी खूबसूरत पेंटिंग की तरह लगता है। उत्तराखंड का यह प्रसिद्ध पर्यटन स्थल आने वाले सैलानियों को अपनी नैसर्गिक सुंदरता से मंत्र-मुग्ध कर देता है। यहां के हरे-भरे जंगल, ऊंचे-ऊंचे पहाड़, बिलकुल साफ और नीला आसमान, खूबसूरत झीलें और न जाने ऐसे कितने ही खूबसूरत नजारों की वजह से यह जगह असंख्य सैलानियों की सबसे पसंदीदा जगह बन गयी है। नंदादेवी, त्रिशूल और पंचाचूली जैसी महत्वपूर्ण चोटियों को और बेहतर ढंग से देखने के इच्छुक पर्यटक कौसानी की तरह ही रुख करते हैं। इतना ही नहीं इन पहाड़ों के अलावा यहां करीब 350 किमी. के विशाल क्षेत्र में फैले बर्फ से लदे पहाड़ भी मन मोह लेते हैं। 

समुद्रतल से 1890 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कौसानी ट्रैकिंग करने वालों के लिए स्वर्ग है। क्योंकि ट्रैकिंग के दौरान देवदार के ऊंचे-ऊंचे वृक्ष, खूबसूरत झरने और मखमली खास के खूबसूरत मैदान, उनका स्वागत करते हैं। एडवेंचर के शौकीनों को इस इलाके में मानसून के मौसम में आना चाहिये। कौसानी का मौसम लगभग पूरे ही साल बहुत खुशनुमा रहता है। लेकिन यदि आपको बहुद ज्यादा सर्दी माफिक नहीं आती, तो आप यहां अप्रैल से जून या फिर सितंबर से नवंबर के बीच आ सकते हैं। उस दौरान यहां का मौसम गुलाबी रहता है। लेकिन ठंड का मौसम पसंद करने वाले लोग यहां साल के किसी भी समय आ सकते हैं। 

ऐतिहासिक दृष्टि से भी कौसानी का अपना विशेष महत्व है। दरअसल, जब 1929 में महात्मा गांधी यहां आये थे तो वह अनासक्ति आश्रम में ठहरे थे। अपने प्रवास के दौरान कौसानी की खूबसूरती और यहां का शांत माहौल उन्हें इतना पसंद आया कि उन्हें कौसानी को भारत के स्विटजरलैंड का नाम दिया। जिन दिनों वह यहां ठहरे थे, उस वक्त वह एक पुस्तक अनासक्ति योग लिख रहे थे। गांधीजी ने गीता के श्लोकों का सरल अनुवाद करके अनादिसक्ति योग का नाम दिया है। महात्मा गांधी के अलावा इस इलाके के साथ एक और प्रसिद्ध शख्सियत का नाम भी जुड़ा हुआ है। हिन्दी के विख्यात कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म यहीं हुआ था। अपनी अनेकों बेहद प्रसिद्ध रचनाओं की प्रेरणा उन्हें इसी खूबसूरत जगह से मिली थी।