ऐसा माना जाता है कि इस स्थान को अपना नाम भगवान शिव के एक अन्य नाम रुद्र और भगवान विष्णु के एक अन्य नाम हरि से मिला है। रुद्रधारी झरना देवदार के विशाल वृक्षों और घास के हरे भरे मैदानों से घिरा हुआ है। यहां का अप्रतिम प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर खींचता है। इसलिए भारी संख्या में लोग यहां पिकनिक मनाने के लिए अपने पूरे परिवार के संग आते हैं। इतना ही नहीं रोमांच प्रेमी पर्यटक रुद्रधारी गुफाओं में ट्रैकिंग के लिए भी जाते हैं, जो अपने आप में जिंदगीभर याद रखने वाला अनुभव है। आदि कैलाश की तरफ जाते हुए सैलानियों को अन्य बहुत सी प्राचीन गुफाएं मिल जाएंगी। यहां आने वाले पर्यटकों को यहां स्थित भगवान शिव और भगवान विष्णु के मंदिर अवश्य जाना चाहिये। सोमेश्वर के नाम से प्रसिद्ध भगवान शिव का मंदिर इस झरने से थोड़ी ही दूरी पर स्थित है। यहां आने वाले सैलानी आमतौर पर कंटाली गांव तक जाते हैं, जो कि यहां से महज 3 किमी की दूरी पर है। इसके बाद रुद्रधानी झरने तक जाने के लिए ट्रैकिंग करनी पड़ती है। यह झरना कौसानी से 12 किमी दूर, कौसानी-अल्मोड़ा रोड पर स्थित है, जहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। 

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