उत्तराखंड के दूसरे सबसे बड़े जिले चमोली में बसा ग्वालदाम एक बेहद शांत शहर है। यहां जाने का रास्त घने देवदार के जंगलों से होकर जाता है, जिनके पीछे से हिमालय पर्वत श्रृंखला का विहंगम दृश्य दिखाई देता है। गढ़वाल और कुमाऊं की सीमा पर बसे होने की वजह से ग्वालदाम की खूबसूरती में गढ़वाल का विशेष प्रभाव साफ नजर आता है। प्रकृति के कुछ सबसे बेहतरीन नजारों के लिए ग्वालदाम पर्यटकों के बीच खासा प्रसिद्ध है। मसलन, एक ओर जहां छोटी-छोटी झीलों से सजे देवदार के घने जंगल है, तो वहीं दूसरी ओर लाल-लाल सेबों से अटे पड़े बगीचे, पर्यटकों को रोमांचित कर देते हैं। ग्वालदाम समुद्रतल से 1699 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जहां से नंदादेवी (7817 मीटर), त्रिशूल (7120 मीटर) और नंदाघुटी (6309 मीटर) के बेहद खूबसूरत नजारे अलग-अलग जगों से देखे जा सकते हैं। 

यहां एक तरफ देखो तो घाटी से बहती पिंडारी नदी का नजारा इतना दिलकश लगता है कि यहां से जाने का दिल ही नहीं करता। तो दूसरी तरफ सेब के बागानों के बीच से गुजरने का अनुभव अपने आप में कभी न भुलाया जा सकने वाला अनुभव है। क्योंकि यह बागान इतनी दूर-दूर तक फैले हैं, मानो की कभी खत्म ही नहीं होंगे। हिमालय के कुछ प्रसिद्ध और पूरी तरह विकसित रोमांचकारी ट्रैक्स की शुरूआत इसी स्थान से होती है। जैसे कि प्रसिद्ध रूपकुंड ट्रैक, बैजनाथ से महज 22 किमी की दूरी पर स्थित है। इसे एक दिन में आसानी से पूरा किया जा सकता है। 

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