शहद की रंगत लिए हुए रेतीली पहाड़ियों की श्रृंखलाए विशाल बंजर विस्तारए विपरीत रंग और सम्मोहक ऐतिहासिक ख़ज़ानेए राजस्थान के जादुई शहर जैसलमेर की सम्मोहक सुंदरता का प्रतीक है। शहर के बीचों बीच जैसलमेर का किला है जो अब भी आबाद हैए और रेगिस्तान में ऐसा लगता है जैसे कोई मृगतृष्णा उभर आई हो और ऐसा लगता है जैसे वह सूरज की किरणों में नहा कर जल उठा हो। 99 बुर्जों से घिरा हुआ यह परीकथा जैसा किला आप को अपनी शान ओ शौकत से अपने वश में कर लेता है। दूर तक फैला हुआ यह राजस्थान का शहर अपने बारीकी से तराशे हुए मंदिरोंए संकरी गलियोंए और आनंदमय वातावरण के कारण पूरे विश्व के सैलानियों को आकर्षित करता हैए जिसे ऊँट की सवारी के जरिये रहस्यमय रेगिस्तान के बीच तलाश किया जा सकता है। जैसलमेर का इतिहास प्रागैतिहासिक युग तक फैला हुआ हैए जो अकाल जंगल के जीवाश्म पार्क में संरक्षित किया गया है। तनोट माता के दर्शन ज़रूर करने चाहिए जो भारत पाकिस्तान की सीमा के नजदीक स्थित है और जिसे 1965 के युद्ध के दरमियान प्रसिद्धि मिली थीए जब वह बम जो इसके पास गिरा थाए और फटा नहीं था।

इसे फिल्म श्बार्डरश् में भी दिखाया गया था। किंवदंती के अनुसार रावल जैसलए जो देवराज के रावल के सबसे बड़े उत्तराधिकारी थेए को लोदूर्वा के सिंहासन से उतार दिया गया और उनके सौतेले छोटे भाई को राजा बना दिया गया। अपनी शान वापस पाने के प्रयास में वह एक नई राजधानी की तलाश में निकले। तब वह एक साधु के पास से गुजरे जिस ने उन्हें एक प्राचीन भविष्यवाणी के बारे में बताया। इस तरह 1156 में रावल जैसल इस क्षेत्र में एक मिट्टी के किले का निर्माण कराने के लिए प्रेरित हुएए जिस का नाम उनके खुद के नाम पर जैसलमेर रखा गया। जैसलमेर का शाब्दिक अनुवाद जैसल का पहाड़ी किला है। इसके प्राचीन व्यापारिक रास्ते पर स्थित होने के कारण इसे प्रसिद्धि और समृद्धि और वास्तुकला का मनमोहक अंदाज़ मिला। जैसलमेर अपनी लकड़ी की नक्काशीए स्थानीय कलाकारी और शानदार सम्पन्न सांस्कृतिक विरासत के लिए भी जाना जाता है।