सदर बाजार

जैसलमेर में ख़रीदारी का सच्चा एहसास सदर बाजार में ही अनुभव किया जा सकता है। हालाँकि यह बाजार अपने चमड़े के सामानों के लिए प्रसिद्ध हैए लेकिन यहाँ से तस्वीरेंए कालीनए हस्त कला की चीजों से लेकर गहनेए जूते और साड़ी तक कुछ भी खरीदा जा सकता है। 

सदर बाजार

भाटिया बाजार

बेहद प्राचीन स्मारिकाओं से ले कर बेहतरीन सिल्क के कपड़ों तकए भाटिया बाजार साड़ियों की ख़रीदारी के लिए बेहतरीन स्थान है। 

भाटिया बाजार

सोनारों का बास

हक़ीक़त में कहाजाए तो यह जौहरियों का घर हैए जैसलमेर में गहनों की ख़रीदारी करने के लिए सोनारोंका बास बेहतरीन जगह है। चाहे आप सोना खरीदना चाहेंए या चांदी या कीमती पत्थरों केजड़ाऊ गहनेए आप को यहीं जाना चाहिए। 

सोनारों का बास

मानक चौक

हालाँकि मानक चौकमें दुकानें आकार में छोटी हैंए लेकिन यहाँ के सामानों में रूपए रंगए विविधता औरयादों को संजोने लायक वस्तुओं का कोई अकाल नहीं है। चाहे वह पारंपरिक कपड़े होंएरंग बिरंगी हस्त कलाकृतियाँ होंए आकर्षक थैले हों या स्थानीय चमड़े के सामानए आप इसभरी पूरी बाजार में चुनाव नहीं कर पाएंगे कि क्या लें और क्या न लें। 

मानक चौक

पंसारी बाजार

यह शहर के प्राचीनतम बाजारों में से एक हैए इसे गाँव वालों का बाजार भी कहा जाता है। यह अपनी दिल से देसी वस्तुओं के लिए प्रसिद्ध है। 

पंसारी बाजार

गडसीसर झील

गडसीसर की बरसाती पानी की झील अपने सुंदर और दर्शनीय परिवेश के कारण एक लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट है। असल में जब जैसलमेर का भव्य किला सूर्योदय के समय सुनहरे सूरज की सुंदर किरणों से नहाता है तब यह इसका नज़ारा करने के लिए सही प्रेक्षण स्थल है।

झील शहर की चारदीवारी के बिलकुल बाहर स्थित है और एक समय यह जैसलमेर शहर को पानी की आपूर्ति करने वाला एकमात्र जलाशय था! इस झील तक पहुँचने वाला पीले पत्थर का सुंदर नक्काशी से सजा हुआ मेहराब सहित द्वार जो शहर के दक्षिणी भाग में स्थित हैए टीलों की पोल कहलाता है। लोक आस्था के विपरीत यह एक मरु उद्यान नहीं बल्कि जल संरक्षण के लिए बनाया गया जलाशय है जो लगभग 1400 ईस्वी में जैसलमेर के तब के महाराजा महरवाल गडसी सिंह द्वारा बनवाया गया था। 

गडसीसर झील

सैम के रेतीले टीलों में रेगिस्तान की यात्रा

सैम के अखंड रेतीले मैदान का स्तब्ध कर देने वाला विस्तार बहुत बड़ा पर्यटन स्थल है। यहाँ ऊँट की सवारी या जीप सफारी का लुत्फ उठाया जा सकता है। थार रेगिस्तान की सुनहरी रेत से घिरे हुए मैदानों में कैंपिंग करते हुए सैलानी रेगिस्तानी जीवन को गहराई से सैमझ सकते हैं। जैसलमेर के दूरस्थ इलाकों से गुजरते हुए यात्री इस जगह के बारे में काफी कुछ जान सकते हैं और यहाँ के लोक नर्तकों के नृत्यए कठपुतली प्रदर्शन और खुले मैदान में होने वाली सांस्कृतिक गतिविधियों का आनंद उठाते हुए यहाँ की संस्कृति की संपन्नता के गवाह बन सकते हैं। 

खुरी गाँवए जो जैसलमेर की सीमा पर स्थित हैए रेत के प्राचीन टीलों से घिरा हुआ है। खुरी में ऊँट की सवारी आप को रेत के लहरदार टीलों से होते हुए मंथर गति से सैर कराएगीए जिससे आप थार रेगिस्तान के विस्तृत और सुंदर नज़ारों का आनंद उठा सकेंगे। यहाँ के अपेक्षाकृत कम खंगाले गए रेत के टीले उन सैलानियों के लिए बहुत बड़ा आकर्षण का केंद्र हैं जो भीड़ भरे पर्यटन स्थलों से हटकर किसी अछूते स्थान की सैर करना चाहते हैं। जब सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूरज की सुनहरी किरणें हवा के झोंकें के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए रेत पर विभिन्न आकार बनाते हुए रेत पर प्रकाश और छाया का आनुपातिक महाकाव्य रचती हैंए लोग इस इलाक़े की सादगी से भरपूर सीधी सादी ज़िंदगी के प्रति ज़बरदस्त कशिश महसूस करते हैं। पास के गाँव में छितरी हुई सी कच्ची झोपड़ियाँ और एक स्थानीय बाजार है जहां पर्यटक राजस्थानी जीवन के परंपरागत तरीकों को आत्मसात कर सकते हैं। यहाँ कई रिज़ॉर्ट संचालक खूबसूरती से बने हुए विलासिता पूर्ण शिविरों में रात गुजारने का आमंत्रण देते हैंए जहां स्थानीय कलाकारों की सुंदर प्रस्तुतियाँ होती हैं। इसकी दूरस्थ स्थिति के कारण खुरी में रात के समय कभी कदा होने वाली कैंप फायर के बीच एकांत के वैभव और अबाधित वातावरण का आनंद उठाया जा सकता हैए जहां मेहमानों को शांतिपूर्ण वातावरण में घर का बना खाना परोसा जाता है जो परिपूर्ण रेगिस्तानी अनुभव के लिए तैयार किया जाता है।

सैम के रेतीले टीलों में रेगिस्तान की यात्रा