जयपुर के बीचांेबीच स्थित जंतर मंतर विश्व की सबसे पुरानी खगोेलीय वेधशाला में से एक मानी जाती है। यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व विरासत स्थल, जंतर मंतर में पत्थर से बनी विश्व की सबसे बड़ी सूर्यघड़ी है। जंतर मंतर में 16 प्रमुख यंत्र हैं, जो समय देखने, सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति जानने तथा खगोलीय पिंडों की दिशा का पता लगाने के लिए बनाए गए थे। यह महाराजा स्वाई जयसिंह द्वितीय द्वारा बनाए गए पांच खगोलीय वेधशालाओं में से एक है। पांच में से चार खगोलीय वेधशाला दिल्ली, वाराणसी, मथुरा एवं उज्जैन में बनाई गई थीं। जय सिंह जिन्होंने जयपुर बसाया था, खगोलशास्त्र में उनकी बेहद रुचि थी। जंतर मंतर का निर्माण करने से पहले उन्होंने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अपने विद्वानों को समान वेधशालाओं के अध्ययन के लिए भेजा था। इस वेधशाला में आकर पर्यटक जान पाते हैं कि ये यंत्र किस प्रकार से कार्य करते हैं।

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